48 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल, भास्कर बोस का वजन हमेशा से ही अधिक था, लेकिन धूम्रपान के कारण उच्च रक्तचाप, फैटी लीवर, कोविड की समस्या के बावजूद पिछले साल लॉकडाउन से पहले तक पहले उनकी सारी समस्याएं नियंत्रित रह रही थी. लेकिन लॉकडाउन के बाद उन्हें घर से ही ऑफिस का काम करना पड़ा. उन्हें दिसंबर 2020 में सांस लेने में तकलीफ होने लगी जो कि नए साल तक दैनिक गतिविधियों के दौरान काफी बढ़ गई थी. उन्होंने सुस्ती भी रहने लगी और उन्हें महसूस होेने लगा कि रात में ठीक से सोने के बावजूद उन्हें दिन भर नींद आती रहती थी.

सौभाग्य से, उनके पारिवारिक चिकित्सक ने उन्हें पल्मोनोलॉजिस्ट से मिलने की सलाह दी. उनके व्यक्तिगत इतिहास की जाँच करने के बाद, उन्होंने बताया कि 2020 में लॉकडाउन के बाद से उनका वजन लगभग 25 किलोग्राम (110 किलोग्राम से लगभग 130 किलोग्राम तक) बढ़ गया और उनकी जीवन शैली निष्क्रिय हो गयी. यही नहीं‚ वे अत्यधिक पीने लगे, धूम्रपान करने लगे और उनकी नींद का पैटर्न भी अनियमित हो गया. उन्होंने अपने लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग करने और अत्यधिक टीवी देखने की बात भी कही.

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क्लिनिक में, उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, यहाँ तक कि जब वे आराम कर रहे थे तब भी सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. डॉक्टर के साथ बातचीत करते समय कभी-कभार उनकी सांस उखड़ रही थी. उन्होंने रक्तचाप का स्तर बढ़ा हुआ था और ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा था. उसके बाद उनकी स्लीप स्टडी करायी गयी, जिसमें देखा गया कि उनकी पूरी रात की नींद के दौरान उनकी साँस प्रति घंटे 34 बार की दर से रुक रही थी और उसकी नींद की गुणवत्ता बहुत खराब थी. उनमें खराब नींद के साथ– साथ ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) का निदान किया गया ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (ओएचएस) होने की भी संभावना व्यक्त की गयी. इसके कारण रक्तचाप बढ़ना‚ तरल की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड रिटेंशन के साथ रेस्पायरेटरी फेल्योर हो गया. उनके परीक्षणों से यह भी पता चला कि उन्हें फैटी लीवर और मधुमेह भी हो गया है.

मोटापा मधुमेह और दिल की समस्याओं का एक जाना-माना कारण है, लेकिन ये दुष्प्रभाव लंबे समय में देखे जाते हैं. लेकिन यह तथ्य कम लोगों को ही पता है कि मोटापा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है जैसा कि श्री बी बी के साथ हुआ.

ओएसए एक ऐसी बीमारी है जो ऊपरी वायुमार्ग में रुकावट के कारण होती है, जो कुछ ऐसे मोटे रोगियों में नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट पैदा करती है, जिनकी जन्म के समय से ही गर्दन मोटी और ऊपरी वायुमार्ग संकीर्ण होता है. सांस लेने में रुकावट से रात में रुक-रुक कर नींद टूटने लगती है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है. नतीजतन, ओएसए पीड़ित व्यक्ति दिन भर नींद महसूस करता है. जिसके कारण ओएसए पीड़ित व्यक्ति के ड्राइविंग करने पर विशेष रूप से सड़क यातायात दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है. इसके कारण स्ट्रेस हार्मोन के स्तर में वृद्धि हो सकती है जिसका शरीर पर दुष्प्रभाव हो सकता है और उच्च रक्तचाप हो सकता है. ओएसए के बहुत गंभीर होने पर नींद में अचानक मृत्यु हो सकती है. खराब नींद वाले लोगों (ओएसए के कारण) या अनियमित नींद की आदतों की वजह से खराब नींद वाले लोगों में  अक्सर मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन होता है और कुछ हार्मोनल असंतुलन होता है जिसके कारण उन्हें अधिक भूख लगने लगती है और वे भोजन करने के बाद तृप्ति महसूस नहीं करते हैं और यह प्रवृत्ति आगे बढ़ती जाती है और इसके कारण वजन और भी अधिक बढ़ने लगता है और ओएसए के बढ़ने का एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है.

मोटापा हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम का अक्सर मोटापे से ग्रस्त ओएसए रोगियों के साथ संबंध होता है जिसके कारण दिन के समय रेस्पायरेटरी फेल्योर (सांस की तकलीफ), ऑक्सीजन के स्तर में कमी और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि हो सकती है, शरीर में तरल पदार्थ की कमी हो सकती है और यह घातक हो सकता है.

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हालांकि ऐसे मामलों में वजन कम करने और मोटापे के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को दूर करने में समय लगता है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि ओएसए और ओएचएस के कारण होने वाले मोटापे के तीव्र दुष्प्रभाव को पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (पीएपी) नामक मेकैनिकल थेरेपी से तुरंत दूर किया जा सकता है. ये दो प्रकार के हो सकते हैं – बाईलेवल (बाई-पैप) और कंटीनुअस (सी-पैप). स्लीप मेडिसीन प्रशिक्षित पल्मोनोलॉजिस्ट रोगी का मार्गदर्शन कर सकता है कि कौन सी चिकित्सा उसके लिए सर्वोत्तम है.

मिस्टर बीबी को कुछ वाटर पिल्स के साथ बाई-पैप थेरेपी दी गई, जिससे उनके मूत्र में वृद्धि हुई और शरीर में तरल की मात्रा भी ठीक हो गयी. पहले सप्ताह में ही उनका वजन5 किलोग्राम कम हो गया, उनका रक्तचाप नियंत्रित हो गया, वह बिल्कुल अलग और तरोताजा महसूस कर रहे थे.

डॉ विकास मित्तल, प्रमुख कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी एवं स्लीप मेडिसीन विभाग, Max Hospital, Shalimar Bagh से बातचीत पर आधारित.. 

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