2008 में रोहित एनडी तिवारी के खिलाफ अदालत पहुंचे थे. रोहित ने दावा किया था कि वह पूर्व कांग्रेस नेता और अपनी मां उज्ज्वला शर्मा का बेटा है. एनडी तिवारी ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले को खारिज करने की गुहार भी लगाई थी हालांकि कोर्ट ने 2010 में तिवारी की इस गुहार को खारिज कर दिया था.
23 दिसंबर, 2010 को हाई कोर्ट ने सचाई जानने के लिए दोनों को डीएनए टैस्ट कराने का आदेश दिया. हालांकि एनडी तिवारी ने इस के खिलाफ भी खूब हाथपांव मारे और सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा था.
इस के बाद उन्होंने अपना खून तो दिया, लेकिन उस के रिजल्ट को सार्वजनिक न करने की सिफारिश की थी, जिसे कोर्ट ने नहीं माना और रोहित का दावा सही निकला. डीएनए टैस्ट के बाद रोहित को बेटे का हक मिला, लेकिन दुर्भाग्यवश 39 साल की उम्र में रोहित का हृदयगति रुकने से मौत हो गई.
इस के अलावा एक बार छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में एक बेटे को पिता की पहचान जानने के लिए डीएनए टैस्ट कराना पड़ा क्योंकि पुलिस को एकसाथ 2 सड़ेगले शव छत्तीसगढ़ के मुसाबनी में मिले थे. परिवार वाले उसे पहचान नहीं पा रहे थे. यह जानने के लिए पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने डीएनए टैस्ट करवाया और बाद में संबंधित शव परिवार को सौप दिया.
किया शोध
फ्रेडरिक मिशर ने 1869 में डीएनए की खोज की थी और उन्होंने इस का नाम न्यूक्लिन रखा. इस के बाद 1881 में अल्ब्रेक्ट कोसेल ने न्यूक्लिन को न्यूक्लिक एसिड की तरह पाया. तब इसे डीऔक्सीराइबोज न्यूक्लिन ऐसिड नाम दिया गया था और इसे ही डीएनए की फुलफौर्म कहा जाता है.
संरचना
डीएनए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डीऔक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डीएनए कहते हैं. इस में जैनेटिक कोड निबद्ध रहता है. डीएनए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है.
डरें नहीं डीएनए जांच से
इस बारे में मुंबई के अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल की जनरल फिजिशियन डा. छाया वजा कहती हैं कि असल में किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए कई प्रकार की जांचें की जाती हैं. इन में डीएनए जांच का नाम सुन कर अच्छेभले लोग भी डर जाते हैं. यह एक ऐसा टैस्टल है, जो हमारे जीन्स के बारे में एकदम सटीक जानकारी देता है. आज के बदलते जमाने में हत्या और बलात्कार जैसे कई अपराधों को सुलझने के लिए डीएनए परीक्षण का उपयोग किया जाता है. इसलिए ज्यादातर लोग इस के बारे में थोड़ाबहुत जानते हैं.
डीएनए क्या है
डाक्टर छाया कहती हैं कि हर व्यक्ति का डीएनए अलग होता है. डीएनए में 4 घटक होते हैं- एडेनिन (ए), थायमिन (टी), ग्वानिन (जी) और साइटोसिन (सी). यह डीएनए जांच के लिए किया जाता है. एक अपराधी का पता लगाने और मातापिता अपने हैं या नहीं यह जानने के लिए इस जांच को करना पड़ता है क्योंकि बच्चे का डीएनए उस के मातापिता से बनता है, लेकिन बच्चे और उस के मातापिता का डीएनए एकजैसा नहीं होता है, बल्कि कुछ हिस्सा मिलता हुआ हो सकता है.
एक डीएनए जांच द्वारा पितृत्व परीक्षण किया जाता है और यह लगभग 100% सटीक होता है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के बच्चे का पिता है या नहीं. डीएनए टैस्ट में चीक स्वैब या ब्लड टैस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि आप को कानूनी कारणों से परिणाम की आवश्यकता है, तो आप को चिकित्सा सैटिंग में परीक्षण करवाना चाहिए. प्रसवपूर्व पितृत्व परीक्षण, गर्भावस्था के दौरान पितृत्व का निर्धारण कर सकते हैं.
डीएनए है क्या
डीएनए एक बहुत ही साइंटिफिक टर्म है, इसलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं. व्यक्ति के शरीर में एक डीएनए कोडिंग होती है और यह कोडिंग जिस तरह से होती है, शरीर उसी तरह से बनता है अर्थात कोडिंग ही तय करती है कि बच्चे की आंखों का रंग कैसा होगा, उस की स्किन का रंग कैसा होगा, लंबाईचौड़ाई कैसी होगी, मसल्स कितनी मजबूत होंगी, बाल कैसे होंगे, सीना कितने इंच का होगा और बच्चा भविष्य में किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी का शिकार हो सकता है या नहीं आदि.
पितृत्व का निर्धारण
पितृत्व का परीक्षण बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है, लेकिन गर्भावस्था में भी यह जांच की जा सकती है. इस के 3 अलगअलग तरीके हैं:
गैर-इनवेसिव प्रीनेटल पितृत्व परीक्षण (एनआईपीपी): यह परीक्षण पहली तिमाही के दौरान गर्भवती महिला के रक्त में पाए जाने वाले भू्रण के डीएनए से किया जाता है. इसे जांचने के लिए पिता के चिक सैल के नमूने को भू्रण के डीएनए से मिलाया जाता है.
कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस): यह प्रक्रिया मां की गर्भाशय ग्रीवा या पेट के माध्यम से होती है. इस जांच के लिए मां और पिता का डीएनए मिलाया जाता है. सीवीएस आमतौर पर एक महिला के आखिरी मासिकधर्म के 10 से 13 सप्ताह के बीच होता है. इस प्रक्रिया में गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान का थोड़ा रिस्क होता है.
एमनियोसैंटेसिस: एमनियोसैंटेसिस के दौरान ऐक्सपर्ट थोड़ी मात्रा में एमनियोटिक फ्लूइड निकालते हैं. इस टैस्ट के लिए प्रैगनैंट मां के पेट में एक नीडल डाली जाती है, फिर प्रयोगशाला में इस फ्लूइड के सैंपल को मां और संभावित पिता के डीएनए से तुलना की जाती है. एमनियोसैंटेसिस गर्भधारण के 15 से 20 सप्ताह के बीच में किया जाता है. इस टैस्ट से मिस्कैरिज की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है.
समय डीएनए रिपोर्ट आने का
जांच कराने के लगभग 1 हफ्ते बाद डीएनए की रिपोर्ट आती है और किसी बीमारी की जांच के लिए किए जाने वाली जांच में करीब 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है.
तरीके डीएनए टैस्ट के
व्यक्ति के शरीर से खून की कुछ बूंदें ले कर इस टैस्ट को किया जाता है. इस के अलावा मुंह से स्वाब, हेयर, स्किन आदि से भी जांच की जा सकती है. डीएनए जांच देती है परिचय मातापिता का:
– इस टैस्ट से बच्चा संबंधित मातापिता का है या नहीं यह पता लगाया जा सकता है.
– मातापिता को कोई बायोलौजिकल बीमारी अगर है, तो इस बीमारी का बच्चे में जाने की संभावना है या नहीं.
– इस टैस्ट के द्वारा व्यक्ति सगेसंबंधी और ब्लड रिलेटिव्स का पता लगा सकता है.
– क्राइम की छानबीन और आरोपी को दबोचने के लिए डीएनए टैस्ट किया जाता है.
– डीएनए टैस्ट के जरीए किसी भी व्यक्ति को किस बीमारी से खतरा है इस का पता लगाया जा सकता है.