आजकल लोगों के काम करने के अनियमित घंटे, निष्क्रिय जीवनशैली, तनावपूर्ण जीवन, अपर्याप्त खानपान, अधिक उम्र में विवाह, तंबाकू एवं शराब का सेवन, शारीरिक परिश्रम में कमी होने आदि के कारण वे निसंतानता के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में आईवीएफ एवं आईयूआई जैसी प्रक्रियाएं ऐसे लोगों के लिए काफी लाभप्रद साबित हो रही हैं.
हालांकि निसंतान जोड़ों के लिए केवल आईवीएफ ही एकमात्र विकल्प नहीं, सही और सटीक इलाज से प्राकृतिक रूप से भी संतानसुख प्राप्त हो सकता है. लोगों की यह धारणा होती है कि आईवीएफ द्वारा जन्मा बच्चा अनुवांशिक तौर से जोड़े का नहीं होता, जो गलत है क्योंकि महिलाएं अपने ही अंडे और पुरुष अपने ही शुक्राणु से मातापिता बन सकते हैं. साथ ही, आईवीएफ दर्दरहित प्रक्रिया होती है. इस दौरान रोज के काम भी आसानी से किए जा सकते हैं और इस में अस्पताल में भरती रहने की जरूरत भी नहीं होती है.
निसंतान जोड़ों को बिना देरी के निसंतानता विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लेना चाहिए. आईवीएफ, आईयूआई, लैप्रोस्कोपी प्रक्रियाओं आदि के बारे में जानना चाहिए. इस के अलावा आईवीएफ कराने से पहले सभी प्रकार की जांचों को करा लेना चाहिए जिस में सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या और आकार एवं स्त्रियों के अंडे की संख्या व गर्भाशय का आकार होता है.
जिन महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब खराब या बंद हो जाती है, वे मां बनने में अक्षम हो जाती हैं. पर यदि लैप्रोस्कोपी से बंद ट्यूब को खोल दिया जाए तो सामान्यतौर पर, आईयूआई या आईवीएफ से मां बनना संभव है.
शून्य शुक्राणु वाले पुरुष भी अपने ही शुक्राणुओं से पिता बन सकते हैं. कम शुक्राणु वाले पुरुष बिना आईवीएफ के सफलता प्राप्त कर सकते हैं. जिन महिलाओं में अंडा बनने की क्षमता कम है, वे भी अपने अंडे से गर्भवती हो सकती हैं, आवश्यकता है केवल सटीक जांच एवं सही उपचार की.
निसंतानता के कारण
आईवीएफ पद्धति से इलाज करवाने वाली महिलाओं में पहले 38 से 45 वर्ष आयुवर्ग की महिलाएं अधिक होती थीं लेकिन बीते कुछ सालों में इस इलाज के लिए आने वाली महिलाओं के आयु समूह में बदलाव आया है. अब कम आयुवर्ग की महिलाएं भी आईवीएफ के लिए आती हैं.
आज के समय में ये तकनीक बांझपन को दूर कर निसंतान दंपतियों के लिए आशा की एक नई किरण है.
किस चिकित्सक से परामर्श लें?
– निसंतानता विशेषज्ञ से परामर्श लें.
– आईवीएफ व उस से जुड़ी बातों के बारे में जानें.
– स्त्रीरोग विशेषज्ञ का परामर्श ही काफी नहीं.
– उम्र के साथ शुक्राणु कम होने पर विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.
(डा. पूजा गांधी, लेखिका उदयपुर में गीतांजलि फर्टिलिटी सैंटर में आईवीएफ की विशेषज्ञ हैं.)