गर्भधारण और मातृत्व एक शाश्वत अनुभव है जो प्रत्येक महिला के लिए अनूठा होता है. किसी महिला के लिए गर्भधारण काल में खुद और बच्चे की सेहत और फिटनैस पर ध्यान देना सब से अच्छी आदत है. ज्यादातर प्रैग्नेंट महिलाओं को मित्रों और रिश्तेदारों यहां तक कि अजनबियों से भी ढेर सारी नेक सलाह मिलने लगती है.

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हरकोई अपनाअपना विचार देने लग जाता है कि प्रैग्नेंट महिला को क्या करना चाहिए और क्या नहीं. हालांकि इन में से कई विचार सही भी हो सकते हैं, लेकिन कई विचार महज मिथक भी होते हैं. यहां हम आप को कुछ सामान्य मिथकों और सचाई के बारे में बता रहे हैं.

आप 2 लोगों के लिए भोजन कर रही हैं:

सामान्य वजन के साथ किसी औसत आयु वाली महिला को गर्भधारण काल में अपने बच्चे के विकास के लिए प्रतिदिन सिर्फ 300 अतिरिक्त कैलोरी लेने की आवश्यकता होती है.

सामान्य वजन वाली किसी महिला का गर्भधारण काल में 25 से 35 पाउंड तक ही वजन बढ़ना चाहिए और यदि उस का वजन अधिक है तो इतना ही कम करना चाहिए, साथ ही पहली बार मां बनने जा रही महिला के लिए 50 पाउंड से अधिक वजन बढ़ाना सीजेरियन का खतरा बहुत बढ़ा देता है या फिर सामान्य तरीके से बच्चे को जन्म देना मुश्किल हो जाता है. जन्म के दौरान जिस बच्चे का अधिक खयाल रखा जाता है व उस में बड़े होने पर मोटापे से पीडि़त होने की भी संभावना रहती है.

भारी वजन उठाने से प्रसवपीड़ा बढ़ेगी:

यह बात आंशिक रूप से ही सही है. भारी वजन उठाने से पीठ दर्द बढ़ सकता है और स्पाइनल इंजरी का भी कारण बन सकता है. लेकिन यदि इस से आप को ज्यादा परेशानी नहीं होती हो और यदि आप सही तरीके से वजन उठाने में समर्थ हैं तो थोड़ाबहुत वजन उठाना बेहतर ही होता है. मसलन, अनाज का थैला और छोटे बच्चे को यदि आप सही तरीके से उठाती हैं तो यह बिलकुल अच्छा माना जाता है.

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