मां बनना एक अलग अनुभव और एहसास है. लेकिन इस के साथ साथ कई प्रकार के शारीरिक बदलाव भी दिखाई देते हैं, जिन में पांवों का फूलना, उलटियां आना, अच्छी नींद का न आना आदि शामिल हैं. इतना ही नहीं, इस समय त्वचा में भी परिवर्तन दिखाई देता है. त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है. ऐसे में बच्चे के साथसाथ मां की सेहत का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है. प्रैगनैंसी से ले कर पोस्ट डिलिवरी तक ये बदलाव किसी न किसी रूप में दिखाई देते हैं. मां बनने के बाद अधिकतर महिलाएं अपनी देखभाल करना छोड़ देती हैं. ऐसे में कुछ सालों बाद वे कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए ‘हिमालया’ ने ‘हिमालया फौर मौम्स’ लौंच किया. इस अवसर पर हिमालया की सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट पूर्णिमा शंकर ने कहा, ‘‘महिलाएं डिलिवरी के बाद बच्चे और परिवार में पूरी तरह खो जाती हैं और अपनेआप को भूल जाती हैं. ऐसे में हम एक अवेयरनैस महिलाओं में इस प्रोडक्ट के लौंच के साथ जगाने की कोशिश कर रहे हैं. मां का खुद का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. यह उत्पाद रिसर्च के द्वारा टैस्ट कर फिर बाजार में उतारा गया है. मां की इस समय की जरूरत का खास ध्यान रखा गया है. प्रैगनैंसी के दौरान महिला को अपने परिवार की हैल्प लेनी चाहिए, क्योंकि इस समय तनाव, डिप्रैशन, चिंता आदि बढ़ जाती है. कुछ खास खुशबुओं का प्रयोग करने पर ऐसी मनोदशा से उबरा जा सकता है. ऐलोवेरा, लैवेंडर, रोज आदि की सुगंध मां के मूड को बदल सकती है. पहले बच्चे के समय मां की चिंता बहुत अधिक बढ़ जाती है. यह साधारण समस्या है, जो हर मां को होती है. अत: निम्न टिप्स पर महिला का प्रैगनैंट होते ही अमल करना आवश्यक है :
– संतुलित आहार को पर्याप्त व्यायाम के साथ लें. अगर आप का भोजन आप के शारीरिक काम से अधिक है तो वजन बढ़ेगा. इसी प्रकार अगर आप का आहार आप की शारीरिक ऐक्टिविटी से कम है तो वजन कम हो जाएगा. प्रैगनैंसी के दौरान डाइट के साथसाथ ऐक्टिव भी रहे. इस से जो वजन बढ़ा है उसे डिलिवरी के बाद कम करना आसान होगा.
– खाने में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, फैट्स, विटामिन्स और मिनरल्स का भरपूर प्रयोग करें.
– प्लेट पर रेनबो बनाएं अर्थात प्लेट के आधे भाग में फल और आधे में सब्जियां रखें. अधिक तलेभुने पदार्थ, शुगर, सोडा आदि को अवाइड करें.
– सभी फैट्स खराब नहीं होते. कुछ अच्छे तो कुछ बुरे फैट्स होते हैं. मसलन ‘मोनो ऐंड पौलिअनसैचुरेटेड फैट्स’ जो अधिकतर लिक्विड फैट्स होते हैं, में तेल आता है जो शरीर के लिए जरूरी है, क्योंकि यह बैड कोलैस्ट्रौल को कम कर गुड कोलैस्ट्रौल को बढ़ाता है. सैचुरेटेड फैट्स जो कमरे के तापमान में जम जाएं, उन्हें अवाइड करें.
– अपने भोजन को छोटे छोटे मील्स में बांट लें और फिर 2-3 घंटे के बाद लेती रहें. 2 मुख्य भोजन और 2 हैल्दी स्नैक्स काफी होते हैं.
– नमक की मात्रा कम से कम लें, क्योंकि अधिक मात्रा में नमक लेने पर ब्लड प्रैशर बढ़ता है. प्रैगनैंट महिलाओं में नमक की मात्रा अधिक होने पर प्रैगनैंसी इन्ड्यूस्ड हाइपरटैंशन का खतरा रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति व्यक्ति 5 ग्राम नमक हर दिन के लिए काफी होता है, क्योंकि हर खाने में नमक की मात्रा नैचुरली होती है.
– पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. रोज करीब 10-12 गिलास पानी पीएं. तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें. अधिक तरलपदार्थ लेने से ‘प्रीटर्म’ बेबी डिलिवरी की संभावना कम होती है.
– शारीरिक के अलावा मानसिक स्वास्थ्य का भी हमेशा खयाल रखना चाहिए. इस के लिए अपने आसपास के लोगों से घुलमिल कर बातचीत करें.
– अपने लिए व्यायाम का समय प्रैगनैंसी के समय से ले कर डिलिवरी के बाद भी निकालें, लेकिन जो भी व्यायाम करें डाक्टर की सलाह से ही करें.