समाज में महिलाओं की भूमिका पिछले कुछ दशकों में बहुत बदल गई है आज की मल्टीटास्किंग महिला घर और दफ्तर दोनों का ध्यान रखती है. हालांकि, विवाहित महिलाओं को अभी भी बच्चे पैदा करनी जैसी अनुचित अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए मजबूर किया जाता है. पिछले एक साल में, अपोलो क्रैडल ने ऐसे मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी है जहां महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य मे कमी के लक्षण दिखे हैं, जिनमें से अधिकांश मां ना बन पाने और काम और जीवन को संतुलित करने की चिंता के कारण होते हैं. अपोलो क्रैडल के विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि महिलाओं पर इस तरह के पारिवारिक और सामाजिक दबाव, विशेष रूप से इस प्रकार की अनुचित इच्छा उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने के साथ मानसिक दबाव का कारण बन सकते हैं.
अपोलो क्रेडल अस्पताल और मिरैकिल क्लीनिक, गुरुग्राम की सीनियर कंसल्टेंट, गाइनाकोलॉजिस्ट, डॉ साधना शर्मा, कहती हैं, " मां बनना खुशी की बात है और यह एक ऐसी यात्रा होती है जिसकी कल्पना काफी सुखद होती है . ऐसे हालात में पहली बार मां बनने जा रही नवयौवनाओं को मानसिक विकार हो सकते हैं. इनमें तनाव, डिप्रैशन और बेचैनी शिकायतें अक्सर महिलाओं को होती है. इन सबके पीछे बच्चे के लिये घर परिवार और सामाजिक दबाव प्रमुख कारण है. हालाँकि पिछले एक साल मे यह देखा है कि न्यूली मैरिड युवतियों सहित महिलाएं परिवार और समाज के दबाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों जैसे तनाव, अवसाद, आदि की शिकायतें कर रही हैं .
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