हम और आप सभी हेल्दी यानी स्वस्थ रहना चाहते हैं, फिर भी अपनेअपने स्वास्थ्य की ज्यादा फिक्र नहीं करते. फिक्र करते हैं तो, बस, दूसरों से आगे निकलने का. नतीजा यह है कि देश में बीमारियों और बीमारों की संख्या बढती जा रही है.
स्वस्थ रहना खानपान और जीवनशैली से जुड़ा है. ये दोनों अगर ट्रैक पर हैं तो बीमारियां आप से दूर रहेंगी. खानपान का मतलब जो भी आप खाएंपिएं वह पौष्टिक यानी न्यूट्रीशियन से भरपूर हो. और जीवनशैली का मतलब संक्षेप में भरपूर नींद लेने के साथ रोजाना वर्कआउट यानी एक्सरसाइज करना है.
व्यस्त जीवनशैली के चलते आज ज्यादातर लोग प्रोसेस्ड फूड खाना बेहतर समझते हैं हालांकि वह पौष्टिक यानी न्यूट्रिशस नहीं होता. पैकेज्ड फूड बनाने वाले अपनी चीजों को प्योर व नेचुरल होने का दावा करते हैं जबकि ऐसा नहीं होता है. इस बाबत देश के भारतीय खाद्य एंड सुरक्षा प्राधिकरण यानी फूड एंड सेफ्टी अथौरिटी औफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने रेगुलेशंस 2018 तैयार किया है जिस का मकसद देशवासियों को अपने खानपान के प्रति जागरूक करने के साथ फूड बनाने वालों को अपनी वस्तुओं पर गलत व भ्रामक जानकारी देने से रोकना है.
दरअसल, जिन चीजों पर नेचुरल या फार्मफ्रेश लिखा हो, जरूर नहीं कि वे और्गैनिक हों. ये अपनेआप में प्रिजर्वेटिव-फ्री हो सकती हैं लेकिन हो सकता है कि उन में ऐसी सामग्री हो, जिस में पेस्टिसाइड डाला गया हो या वे जेनिटिकली मौडिफाइड हों.
प्रोसेस्ड फूड वह फूड होते हैं जिन्हें लम्बे समय तक खाने के लिए संरक्षित किया जाता है. इन में कई तरीके के फ्लेवर और लम्बे समय तक टिका कर रखने वाले केमिकल मिला कर रखा जाता है जिस से इन्हें मनमुताबिक इस्तेमाल किया जा सके. इस से आप के स्वास्थ्य पर उल्टा प्रभाव भी हो सकता है अगर आप ने इन का इस्तेमाल एक हद से ज्यादा किया तो.
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