विशेषज्ञों की मानें, तो इस का सब से बड़ा कारण घंटों बिस्तर पर बैठ कर काम करने, सही ऊंचाई की मेजकुरसी न होने, आड़ेतिरछे बैठ कर काम करने और काम के बीच में न उठने से यह समस्या पैदा हो रही है.
लेकिन, अगर आप चाहें तो छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर इस दर्द से बचा जा सकता है, एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मस्तिष्क एवं रीढ़ रोग विभाग के डायरेक्टर डॉ. कमल वर्मा ने बताया कि सही पोश्चर न होने से रेडिक्युलोपैथी नैक पैन होता है, जो गरदन से शुरू हो कर हाथ तक जाता है. ऐसा स्लिप डिस्क या नर्व दबने पर होता है. ऐसे में रिलैक्सेशन एक्सरसाइज बहुत जरूरी है, इसे प्रोग्रेसिव व मसल्स रिलैक्सेशन तकनीक कहा जाता है.
जिस तरफ गरदन में दर्द हो, उस तरफ गरदन झुकाने से बचना चाहिए, वरना ये दर्द इतना खतरनाक साबित हो सकता है कि आप अपनी गरदन भी नहीं हिला पाएंगे.
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उन्होंने बताया कि इस से बचाव के लिए काम के बीच में टहलना बहुत जरूरी है, भले ही छोटेछोटे ब्रेक लें लेकिन लें जरूर. कमर झुका कर न बैठें, बल्कि सीधा कर के बैठें. खुद से लैपटौप को डेढ़ फुट दूर रखें व बीचबीच में डीप ब्रीथिंग करें यानी गहरी सांस लें, हर 30 मिनट में 3 मिनट का जरूर ब्रेक लें.
इस दौरान सीट से उठ कर कुछ कदम चलें और शरीर को थोड़ा स्ट्रेच करें. सर्वाइकल का दर्द है तो बाएं हाथ को बाएं कान पर रख कर दबाएं, इसे इसोमेट्रिक मूवमेंट कहते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि अपने खानपान का भी खास ध्यान रखें.
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