भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की कैंसर की वजह से होने वाली मृत्यु में सब से प्रमुख है. इसलिए इस के बारे में जानना और इस के प्रति सावधानी बरतने में ही समझदारी है.
भारत में हर घंटे सर्वाइकल कैंसर की वजह से 8 महिलाओं की मृत्यु हो रही है और यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2020 तक सर्वाइकल कैंसर के लगभग 2,05,496 नए मामले सामने आएंगे और 1,19,097 लोगों की मृत्यु होगी. आइए, जानते हैं इस के बारे में कि यह बीमारी क्या है और इस से किस तरह बचें:
सर्वाइकल कैंसर क्या है
कैंसर, जिस में शरीर की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, जब गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होता है तब इसे सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है. गर्भाशय ग्रीवा महिला यूटरस का निचला संकीर्ण भाग है, जो योनि को यूटरस के ऊपरी भाग से जोड़ता है.
सर्वाइकल कैंसर कब हो सकता है और इस के होने के प्रमुख कारण कौन से होते हैं? आइए, जानते हैं:
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी): एचपीवी वायरस का एक ऐसा समूह है, जो गर्भाशय ग्रीवा को संक्रमित करता है. यह सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में असुरक्षित यौन संपर्क के दौरान ट्रांसफर होता है.
कई यौन साथी: एक व्यक्ति से अधिक से शारीरिक संबंध बनाने पर एचपीवी की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि एचपीवी मुख्य रूप से सैक्स के माध्यम से फैलता है. कम उम्र में यौन संबंध बनाने वाली महिलाओं और कई यौन साथी वाली महिलाओं में एचपीवी की संभावना अधिक होती है.
जल्दी यौन गतिविधि: गर्भाशय ग्रीवा के कोशिका परत 18 साल की उम्र तक पूरी तरह से परिपक्व नहीं होते. इसलिए इस उम्र से ही यौन संबंध बनाने की वजह से एचपीवी का खतरा बढ़ जाता है.
यौन संचारित रोग: सर्वाइकल कैंसर वाली महिलाओं में आमतौर पर यौन संक्रमण का एक इतिहास होता है. क्लैमाइडिया, सिफलिस, एचआईवी/एड्स जैसे रोग एचपीवी का खतरा बढ़ाते हैं.
धूम्रपान: धूम्रपान करने वाली महिलाओं को भी सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है.
मौखिक गर्भनिरोधकों का लंबे समय से प्रयोग करना
लंबी अवधि तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन (5 वर्ष से अधिक) महिलाओं में एचपीवी संक्रमण के साथ सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है. 3 से ज्यादा बच्चों को जन्म देने पर भी इस का खतरा हो सकता है.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
– शुरुआती समय में सर्वाइकल कैंसर के कोई संकेत व लक्षण नहीं दिखाई देते. जब कैंसर बढ़ता है तब योनि से रक्तस्राव होता है.
– मासिकधर्म के बीच नियमित रूप से रक्तस्राव होता है.
इस के अलावा
– संभोग के बाद भी रक्तस्राव.
– रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव.
– योनिस्राव में वृद्धि, बदबूदार महक, गाढ़ा पानी व बलगम निकलना.
– पेड़ू का दर्द: हर घंटे दर्द होता है, जो सामान्य मासिकधर्म से संबंधित नहीं होता.
– सैक्स के दौरान दर्द.
– पेशाब के दौरान दर्द.
अगर आप को इन में से कोई भी संकेत दिखाई दे, तो डाक्टर से संपर्क करें. लेकिन यह याद रखें कि ये सर्वाइकल कैंसर के सुनिश्चित संकेत नहीं हैं.
इस के कौनकौन से स्तर
सर्वाइकल कैंसर के 5 स्तर हैं:
पहला स्तर: कैंसर की कोशिकाएं केवल गर्भाशय ग्रीवा की सतह पर पाई जाती हैं.
दूसरा स्तर: कैंसर गर्भाशय ग्रीवा के बाहर नहीं फैला होता.
तीसरा स्तर: कैंसर योनि के ऊपरी भाग में फैल गया होता है.
चौथा स्तर: कैंसर योनि के निचले हिस्से तक फैल गया होता है.
पांचवां स्तर: कैंसर मूत्राशय या गुदा तक पहुंच गया होता है या कैंसर की कोशिकाएं शरीर के अन्य भाग में फैल गई होती हैं.
कैसे बचें
– एचपीवी टीका लगवाएं.
– पैप टैस्ट के लिए नियमित रूप से अपने डाक्टर के संपर्क में रहें.
– धूम्रपान न करें.
– सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करें.