एक स्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षा मोटे लोग 25 गुना अधिक सेक्स समस्याओं से जूझते हैं, जिन में इच्छा की कमी, सेक्स के प्रति विरक्ति, सहवास के दौरान संतुष्टि के न होने के अतिरिक्त कई लोगों में तो सेक्स के प्रति एकदम से नफरत तक होने लगती है. उन्हें सेक्स के प्रति कोई रुचि नहीं होती. आधे लोगों को इस बात की शिकायत होती है कि बेडौल और भारी शरीर के कारण उन्हें सेक्स स्थापित करने में परेशानी होती है. इसलिए सेक्स करने में हिचक होती है और वे इस से बचने की कोशिश करते हैं. वैसे मोटे लोग, जो चिकित्सीय सलाह की जरूरत महसूस नहीं करते यानी जिन के लिए मोटापा परेशानी का सबब नहीं बनता है, वे इस तरह की शिकायत नहीं करते. यानी उन का सेक्स जीवन प्रभावित नहीं होता और अपने को संतुष्ट महसूस करते हैं. लेकिन, जिन की सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है, वे ऐसा महसूस करते हैं कि उन्हें वास्तव में मोटापे के कारण समस्याएं आ रही हैं और इस के लिए इलाज की जरूरत पड़ती है एक सेक्स विशेषज्ञ के शब्दों में, ‘‘ऐसे मरीज आत्मविश्लेषण करते हैं और अपने अंदर तरहतरह की सेक्स समस्याएं महसूस करते हैं. ऐसे लोगों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.’’
शारीरिक मानसिक परेशानियां
मोटापे का शिकार लोगों का सहवास आनंददायक और पूरी तरह संतुष्टि करने वाला नहीं होता. शरीर में अत्यधिक मात्रा में वसा के जमाव से फिगर के बेडौल होने और भारी हो जाने के कारण कई तरह की परेशानियां होती हैं. पेट के निकल जाने, जांघ, कमर तथा कूल्हों में वसा के जमाव के कारण ऐसे लोग सहजता और सफलतापूर्वक सेक्स स्थपित नहीं कर पाते. ऐसा देखा गया है कि उम्र बढ़ने के बाद यानी 45 से 64 वर्ष की अवस्था के बीच जो लोग मोटापे की गिरफ्त में आते हैं उन में वसा का जमाव कमर के निचले भाग में ज्यादा हो जाता है. फलस्वरूप दैनिक कार्यों के निष्पादन में भी समस्याएं आने लगती हैं. यानी कपड़े पहनने तथा उठनेबैठने और खानेपीने तक में परेशानी होने लगती है. वैसे भी महिलाओं में वसा का जमाव कमर के निचले भाग में और पुरुषों में पेट में ज्यादा होता है, जिस कारण ऐसे पुरुषों का पेट बाहर निकल जाता है. कमर और जांघ में वसा के जमाव के कारण महिलाओं को सामान्य की तुलना में डेढ गुना ज्यादा परेशानी होती है.