अक्सर हम देखते है की कुछ लोगों में जाने अनजाने ऐसी बहुत सी आदतें है जो अपने आप devlope हो जाती हैं और उनके डेली लाइफ का हिस्सा बन जाती हैं. जैसे नाखून चबाना, कुर्सी पर झूलना, कंधे उचकाना, बार-बार पलकें झपकाना या बैठे-बैठे पैर हिलाना. actually आम तौर पर लोग इसे सामान्य आदत के रूप में लेते हैं. लेकिन यह सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है और इस बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं है.

अक्सर आप लोगों ने देखा होगा की कुछ लोग सोफे पर, बिस्तर पर या कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने पैरों को हिलाते रहते हैं. और आपने ये भी गौर किया होगा की जब हम नाखून चबाते है या पैर हिलाते है तो अक्सर हमारे बुजुर्ग लोग हमे टोकते हैं और हम सोचते हैं की ‘मेरे पैर हिलाने से उन्हें क्या परेशानी है’. दरअसल ऐसी बहुत सी चीज़े हैं जो हम करते हैं पर हमारे बड़े बुजुर्ग हमें वो चीज़ें करने से रोकते हैं.आज हम आपको बताएँगे की आखिर ऐसा क्यूँ होता है.

दरअसल .वैदिक काल में हमारे पूर्वजों ने कुछ ऐसे नियम बनाये थे जिसका पालन करके हम स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते हैं.ये बाते सही प्रूफ होने पर ये नियम एक परंपरा में बदल गए. पर ये तो हम भी जानते हैं की कोई भी चीज़ ऐसे ही परंपरा नहीं बन जाती हैं.सभी परम्पराओं के पीछे कोई ठोस और scientific रीज़न छिपे हुए होते हैं.

ऐसा ही एक scientific रीज़न हैं पैर हिलाने के पीछे. .विशेषज्ञ इसे बीमारी का संकेत मानते हैं. अगर आपमें भी बैठे-बैठे पैर हिलाने की आदत है तो हो सकता है की आप इस बीमारी के शिकार हो.इस बीमारी को 'रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम' के नाम से जाना जाता है.

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