अवसाद (डिप्रेशन) जैसे मनोरोग को दूर करने के लिए मशीन का इस्तेमाल पिछले तीन साल में ढाई गुना बढ़ गया है. अवसाद के इलाज में जब दवा काम नहीं करती है तो ‘मैग्नेटिक ब्रेन स्टिमुलेशन' मशीन के जरिए इलाज किया जा रहा है.

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नंद कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में यह मशीन एम्स में उपलब्ध है. तीन साल पहले प्रतिदिन लगभग चार मरीजों का ‘मैग्नेटिक ब्रेन स्टिमुलेशन' मशीन के जरिए इलाज किया जाता था, लेकिन अब रोजाना आठ से 10 मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.

गर्भवती के लिए बेहद जरूरी

प्रोफेसर नंद कुमार के मुताबिक गर्भवती महिलाओं में बच्चा जनने के बाद अवसाद के मामले बढ़ जाते हैं. उन्होंने एक शोध के हवाले से बताया कि 15 फीसदी गर्भवती महिलाएं अवसाद का शिकार होती हैं. ऐसे में उन्हें दवा देना आसान नहीं होता. उनके लिए यह मशीन उपयोगी है.

दवा से ठीक नहीं होने वालों का भी उपचार

प्रोफेसर डॉक्टर नंद कुमार ने बताया कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर से अमित नामक 50 वर्षीय मरीज आया था. उसे दवा लेने के बाद भी आराम नहीं मिला. दो हफ्ते तक उसका ‘मैग्नेटिक ब्रेन स्टिमुलेशन' मशीन के जरिए इलाज करने पर अवसाद में 90 फीसदी की कमी आई.

ऐसे काम करती है मशीन

चुंबकीय शक्ति का प्रयोग करने वाली इस मशीन पर मरीज को तीन से 30 मिनट तक बैठना जाता है. यह मशीन दिमाग के भावनाओं से जुड़े संज्ञानात्मक हिस्से में रक्त की आपूर्ति तेज कर देती है. इस प्रक्रिया में मरीज को एनेस्थीसिया देने या बेहोश करने की जरूरत नहीं होती है.

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