काश! हम भी छोटे बच्चे होते बेफ़िक्र सोते बेफ़िक्र जगा करते. कितनी बार यही इच्छा हम सभी के मन मे कभी ना कभी आती ही है क्योंकि आराम से सोना किसे अच्छा नहीं लगता. हमारी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है नींद का समय. जब हम सोते है तो हम अपनी सारी थकावट और तनाव को भूलकर तरोताज़ा हो जाते हैं .

लेकिन क्या आपको पता है की हमारा ज्यादा सोना या कम सोना हमारी सेहत के लिये नुकसानदेह साबित हो सकता है .यदि आपकी नींद का संतुलन बिगड़ा हुआ है तो सावधान हो जाइये. क्योंकि अच्छी नींद हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य लिए महत्वपूर्ण है. वही कम या ज्यादा नींद लेना हमारी स्मरण शक्ति को प्रभावित करती है हर रात 8 घंटे की नींद लेने को परफेक्ट माना जाता है.

नींद आने का कारण
सोते समय हमारे मस्तिष्क से अल्फा वेव्स निकलनी शुरू होती है. इस अवधि में हमारा मस्तिष्क धीरे-धीरे बाहरी दुनिया से अलग होकर कुछ चरणों को पार करते हुए हम गहरी नींद की अवस्था में चले जाते हैं.अच्छी नींद हमारे अंदरूनी अंगों के साथ साथ, त्वचा के लिए भी लाभदायक है. सोते समय कई अंग शरीर के टॉक्सिक पदार्थों को साफ करने का काम करते हैं ताकि सुबह हम उठें तो हल्का महसूस करें.

कितनी नींद है जरूरी
नवजातों शिशु को (0-3 महीने) को हर दिन 14 से 17 घंटे, शिशुओं (4-11 महीने) के लिए 12 से 15 घंटे, छोटा बच्चा (1-4 साल) के लिए 10 से 14 घंटे, (5-13 साल) के लिए 9 से 11 घंटे, किशोर अवस्था में 8 से 10 घंटे, वयस्क को 7 -9 घंटे की नीद लेना बेहतर माना जाता है बुजुर्गों को 7 -8 घंटे की नींद की सलाह दी जाती है लेकिन 5 घंटे से कम नींद आती है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें . लेकिन यदि कोई 6 घंटे से कम और 10 घंटे से ज्यादा सोता है तो यह व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है .क्योंकि यदि ज्यादा नींद आती है तो उसे ह्य्पोसोमिया और नींद कम आती है तो इन्सोमिया नाम की बीमारी हो सकती है जिसका समय रहते इलाज ना किया जाए तो कई रोगों का कारण बन सकती है

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