भारत में सिर्फ 12% महिलाएं ही पर्सनल हाइजीन यानी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं जो काफी चौंकाने वाला आंकड़ा है, क्योंकि अगर इस पर्सनल हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं तो यह हमें ढेरों बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. यहां तक कि हम यूटीआई, कैंसर जैसी घातक बीमारियों के भी शिकार हो जाते हैं.
‘द नैशनल हैल्थ मिशन औफ द मिनिस्ट्री औफ हैल्थ ऐंड फैमिली वैलफेयर औफ इंडिया’ स्वच्छ भारत अभियान के साथ मिल कर मैंस्ट्रुअल हाइजीन व सैनिटरी पैड्स के प्रति अवेयरनैस बढ़ाने का काम कर रहा है. आप को बता दें कि देश लंबे समय से प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है, जिस में प्लास्टिक पौल्यूशन चरम पर है और इस में सैनिटरी पैड्स का अहम रोल है, क्योंकि भारत में हर साल 11,300 टन प्लास्टिक बरबाद होता है. प्लास्टिक नौनबायोडिग्रेडेबल की श्रेणी में आता है. ऐसे में जरूरत है पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने वाले और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करने की.
ये भी पढ़ें : जानिए ज्यादा खाने पर भी क्यों नहीं मोटी होती हैं आप
पर्सनल हाईजीन से समझौता नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं माहवारी के समय सैनिटरी पैड्स की जगह कपड़ा, न्यूजपेपर, पत्ते, रेत या फिर राख का इस्तेमाल करती हैं, जिस से उन्हें इन्फैक्शन के साथसाथ गर्भाशय कैंसर तक हो सकता है. इसीलिए सरकार अब सस्ते पैड्स बना रही है ताकि माहवारी के दौरान हर महिला को कपड़े आदि के प्रयोग से छुटकारा मिले और वह सुरक्षित सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करे.
क्या होते हैं ईको फ्रैंडली पैड्स
वैसे तो आप को मार्केट में सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा पैड मिल जाएगा, लेकिन फर्क सिर्फ यह है कि जो सिंथैटिक पैड्स होते हैं उन में 90% प्लास्टिक, पौलिमर्स, परफ्यूम व कई कैमिकल होते हैं जो महिला की संवेदनशील त्वचा के लिए हानिकारक साबित होते हैं, जबकि ईको फ्रैंडली सैनिटरी पैड्स विभिन्न नैचुरल बायोडिग्रेडेबल पदार्थों से बनते हैं, जो पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इन की सोखने की क्षमता भी काफी ज्यादा होती है. बहुत ही सौफ्ट होने के कारण ये महिला की वैजाइना की सैंसिटिव त्वचा के लिए पूरी तरह सेफ हैं.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन