डॉ स्वाति अग्रवाल,
बीडीएस
श्री सिद्धि विनायक मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, मन्दसौर

आप सभी जानते हैं कि ब्रशिंग, फ्लॉसिंग और मुंह में एंटीसेप्टिक सलूशन के साथ मुंह को अच्छे से कुल्ला करना बहुत ही अनिवार्य है. यह करने से मुंह में टारटर यानी कि प्लाक नहीं बनता है.

टार्टर क्या है?

जब आप अच्छे से ब्रश नहीं करते हैं और मुंह का अच्छे से ध्यान नहीं रखते हैं तो मुंह में कुछ प्रकार के बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं, यह बैक्टीरिया जब अपने खाने और खाने के जो प्रोटीन है उससे मिलते हैं तो एक चिपचिपी परत बना देते हैं, उस परत को प्लाक कहते हैं. प्लाक बहुत तरह के बैक्टीरिया से बनता है जो कि अपने दांत की बाहरी परत जो कि इनेमल कहलाती है, उसे खराब करता है और उसमें कैविटी यानी कि कीड़े उतपन्न करता है. तो जब हम इसको हटा देंगे तो मुंह में कैविटी यानी कीड़े नहीं लगेंगे और मसूड़े भी स्वस्थ रहेंगे.
सबसे बड़ी दिक्कत तब आती है जब यह प्लाक आपके दांतों पर हमेशा रहता है और एक बहुत ही कड़क पर में बदल जाता है.
टाटर को हम कैलकुलस भी कहते हैं
जो कि दांत के ऊपर और मसूड़ों के अंदर बन जाती है. यह दांतो को हिला देती है और दातों में झनझनाहट कर देती है.यह परत डेंटल क्लीनिक में एक स्पेशल इंस्ट्रूमेंट से निकाली जा सकती है.

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हमारे दांतों और मसूड़ों को किस तरह से प्रभावित करता है यह टारटर?

यह हमारे दांतों और मसूड़ों के लिए बहुत ही खराब है. इसमें जो बैक्टीरिया होते हैं वह मसूड़ों को खराब कर सकते हैं और मसूड़ों की बीमारी पैदा कर सकते है, जैसे कि पायरिया,
जब हम अच्छे से ब्रश करते हैं, फ्लॉस करते हैं और मुंह में एंटीसेप्टिक माउथवॉश से मुंह को क्लीन रखते हैं, तो हम टारटर से बच सकते हैं. अन्यथा यह एक गंभीर समस्या लेकर आ सकता है. जोकि पायरिया है.
पायरिया हमारे दांतों और मसूड़ों के बीच में एक जगह बना लेता है और उसे खराब करता है हमारा प्रतिरक्षा तंत्र वहां पर कुछ रसायन भेजता है ताकि दांतों और मसूड़ों को बचा सके. वहां जाकर यह रसायन बैक्टीरिया से मिलकर एक तरह का मिश्रण बनाता है जो हमारे दांतो के आसपास की हड्डियों को खराब करता है और दांतो को हिला देता है.

टारतर और कैलकुलस से बचाव के उपाय —

सबसे अच्छा तरीका है टारटर से बचने की टारटर होने ही ना दें कैसे ??
रोजाना दिन में दो बार ब्रश करें. ब्रश के दात बहुत ही मुलायम होने चाहिए और हर जगह पर जैसे की पीछे की दाढ़े हुई सब जगह पर ब्रश का पहुंचना अनिवार्य है.

मशीनी टूथब्रश टारटर को ज्यादा अच्छे से हटा पाता है.

कुछ टूथपेस्ट ऐसे होते हैं जो टार्टर को कंट्रोल करते हैं और जिस में फ्लोराइड की मात्रा अच्छी होती है फ्लोराइड दांत के बाहरी परत को रिपेयर करता है. किसी किसी टूथपेस्ट में ट्राई क्लॉसन नामक पदार्थ होता है जो टारटर में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ता है

चाहे आप कितना भी अच्छा ब्रश क्यों ना कर ले फ्लॉसिंग एक बहुत ही अनिवार्य चीज है जो कि आपको रोज करनी चाहिए, यह उस जगह के टार्टर को हटाती है जो दो दांत के बीच में मौजूद होता है. दोनों दांतो के बीच की जगह पर ब्रश का जाना संभव नहीं

और ब्रशिंग के बाद आता है, मुंह को एक एंटीसेप्टिक माउथवॉश से रोजाना कुल्ला करके उसको बैक्टीरिया से मुक्त करना, एंटीसेप्टिक माउथवॉश बैक्टीरिया को मार देती है और टारटर नहीं होने देती है.

अपने खान-पान पर ध्यान रखें बैक्टीरिया जो आपके मुंह में है वह शक्कर और स्टार्टर पदार्थ चाहता है — जब वह ऐसे दो पदार्थों के संपर्क में आता है तो हानिकारक एसिड छोड़ता है जिससे दांतों की बाहरी परत इनेमल गलने लगती है इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपना खानपान सही रखें और अगर ऐसे पदार्थों का सेवन आप करते हैं तो दिन में दो बार ब्रश जरूर करें और हर खाने के बाद ज्यादा से ज्यादा पानी पिया.

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धूम्रपान ना करें

जो लोग धूम्रपान या तंबाकू का किसी और तरह से सेवन करते हैं उन्हें टार्टर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है इसलिए ऐसे पदार्थों से बचें.

 

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