आप सही अर्थों में स्वस्थ रहना चाहते हैं तो शरीर के साथ साथ दिमाग को भी स्वस्थ रखें. कई दफा व्यक्ति की बीमारियां और शारीरिक पीड़ायें मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक पहलू से जुड़ी होती हैं. जिस पर सामान्यतः हम ध्यान नहीं देते. उदाहरण के लिए आप फाइब्रोसाइटिस ले सकते हैं. यह ऐसी स्थिति है जिस से मांसपेशियों में दर्द, नींद और मूड से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. पुरुषों से कहीं अधिक महिलाओं में यह समस्या दिखती है जो ताउम्र रह सकती है. इस की कई वजह हो सकती हैं. जैसे अर्थराइटिस, संक्रमण या फिर व्यायाम की कमी. जरूरी है कि शरीर के साथ मानसिक सेहत का भी ख्याल रखा जाए.
मानसिक बीमारियों की शुरुआत होती है डिप्रेशन से. एक व्यक्ति जब किसी बात को लेकर थोड़े समय के लिए उदास होता है तो उस के खतरनाक नतीजे नहीं होते. मगर जब उदासी लंबे समय तक चलती है तो यह डिप्रेशन में बदल जाती है और व्यक्ति हमेशा उदास, परेशान, तन्हा रहने लगता है. नकारात्मक बातें करता है और दूसरों से मिलने से बचने का प्रयास करता है. इस का असर उस के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.
दिल्ली जैसे महानगरों में लोग डिप्रेशन के साथसाथ टेंशन के भी शिकार हो रहे हैं. एक तरफ अधिक से अधिक रुपए कमाने की जरूरत तो दूसरी ओर रिश्तों में बढ़ रही खटास और एकाकी जीवन उन के दिमाग में तनाव बढ़ा रहे हैं.
वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 35% से ज्यादा लोग एक्सरसाइज करने में आलस करते हैं. शारीरिक रूप से कम सक्रियता व्यक्ति के लिए दिल की बीमारियों, कैंसर, डायबिटीज और हड्डियों के रोगों के साथ साथ मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ाती है.