अचानक वजन का बढ़ जाना, बालों का जरूरत से ज्यादा झड़ना इत्यादि लक्षण बतातें हैं कि थायराइड की समस्या बढ़ रही है. वैसे तो बदलती जीवनशैली के चलते दुनिया में लाखों लोग इस समस्या से ग्रसित हैं, मगर यंग लड़कियों से ले कर महिलाएं तक इस का तेजी से शिकार हो रही हैं. एक शोध के अनुसार हर 8 में से 1 महिला इस समस्या से ग्रसित है.

थायराइड ग्लैंड गरदन पर सामने तितली के आकार की ग्रंथि है जो हारमोन बनाती है और ये हारमोन शरीर के भिन्न अंगों के सही काम करने के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं. ये शरीर के मैटाबोलिक रेट के साथसाथ कार्डिएक और पाचन संबंधी काम को सुचारु रखते हैं. मस्तिष्क का विकास, मांसपेशियों पर नियंत्रण और हड्डियों का रखरखाव भी इन्हीं से संभव होता है. थायराइड की गड़बड़ी थायराइड ग्लैंड के काम को प्रभावित करती है. इस से मैटाबोलिज्म के लिए आवश्यक हारमोन बनाने की क्षमता प्रभावित होती है.

आज थायराइड बीमारी के मामले दुनिया में बढ़ते ही जा रहे हैं, जिसका कारण सभी के लिए अलग हैं. हालांकि थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज के सीईओ और प्रबंध निदेशक ए वेलुमनी का कहना है कि लोगों का लाइफ जीने और रहने की गुणवत्ता खराब होती जा रही हैं, जिसका एक कारण बदलती मानसिकता भी है.

महिलाएं ज्यादा प्रभावित क्यों

थायराइड की ज्यादातर गड़बड़ी अपनेआप बेहतर हो जाने वाली प्रक्रिया है यानी एक अच्छी स्थिति है, जिस में मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली हमला करती है और थायराइड ग्रंथि को नष्ट कर देती है. विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक औटो इम्यून डिजीज जैसे सीलिएक डिजीज, डायबिटीज मैलिटस टाइप, इनफ्लैमेटरी बोवेल डिजीज, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और रह्यूमेटाइड आर्थ्राइटिस महिलाओं में आम हैं.

इन बीमारियों का पता लगाने और इलाज में इसलिए देरी होती है, क्योंकि विभिन्न लक्षणों का पता लगाना मुश्किल होता है. औटोइम्यून बीमारियां आयोडीन की कमी से हो सकती हैं. गर्भावस्था में आयोडीन की कमी ज्यादा होती है. इस की कमी से थायराइड हारमोन के स्तर में कमी हो जाती है, जिस से कई परेशानियां हो जाती हैं.

थायराइड की गड़बड़ी की किस्में

हाइपोथायरोडिज्म, हाइपरथायरोडिज्म, थाइरोइडिटिस, थायराइड कैंसर जैसी आम गड़बडि़यां हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करती हैं. इन में से हाइपोथायरोडिज्म, हाइपरथायरोडिज्म महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले 10 गुना ज्यादा होती हैं.

हाइपोथायरोडिज्म एक तरह की थायराइड गड़बड़ी है जो तब होती है जब थायराइड ग्रंथि की सक्रियता कम होती है और सामान्य के मुकाबले कम हारमोन बनते हैं. इस से शरीर में हारमोन और मैटाबोलिज्म का संतुलन गड़बड़ा जाता है. महिलाओं में हाइपोथायरोडिज्म के सब से आम कारणों में एक है औटोइम्यून डिजीज जिसे हैशिमोटोज डिजीज कहा जाता है. इस में ऐंटीबौडीज धीरेधीरे थायराइड को लक्ष्य करते हैं और थायराइड हारमोन बनाने की इस की क्षमता को नष्ट कर देते हैं. अनुमान है कि 11 महिलाओं में से 1 अपने जीवन में हाइपोथायराइड से ग्रस्त होती है.

हाइपरथायरोडिज्म एक तरह की थायराइड गड़बड़ी है जो तब होती है जब थायराइड ग्रंथि की सक्रियता बढ़ जाती है और सामान्य के मुकाबले ज्यादा हारमोन बनते हैं. ये हारमोन शरीर के मैटाबोलिज्म को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हाइपरथायरोडिज्म में थायराइड ग्रंथि बड़ी हो जाती है. इस से शरीर का मैटाबोलिज्म बढ़ जाता है और अचानक वजन कम हो जाता है, हृदय की धड़कनें तेज या अनियमित हो जाती हैं और चिंता होती है.

शुरुआती लक्षण

थायराइड की गड़बड़ी अकसर शुरू में नहीं पकड़ी जाती है, क्योंकि इस के लक्षण अस्पष्ट होते हैं. इसे बांझपन, लिपिड डिसऔर्डर, ऐनीमिया या डिप्रैशन समझ कर भ्रमित होने की आशंका रहती है. लक्षण देर से सामने आते हैं. तब तक हुए नुकसान की भरपाई न हो पाने की स्थिति बन जाती है.

हाइपोथायरोडिज्म के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: थकान, शुष्क त्वचा, मांसपेशियों में ऐंठन, कब्ज, ठंड बरदाश्त न कर पाना, सूजी हुई पलकें, वजन अत्यधिक बढ़ना, मासिक अनियमित होना.

हाइपरथायरोडिज्म के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: घबराहट, सोने में परेशानी, वजन कम होना, हथेलियों का गीला रहना, तेज और अनियमित हृदय की धड़कन, भारी आंखें, पलकें झपके बगैर घूरना, नजर में बदलाव, अत्यधिक भूख, पेट की गड़बड़ी, गरमी नहीं झेल पाना.

थायराइड की गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार घटक: थायराइड की बीमारी का पारिवारिक इतिहास, औटोइम्यून स्थिति का साथसाथ मौजूद रहना, गरदन में रैडिएशन का इतिहास, थायराइड की सर्जरी, थायराइड बढ़ जाना.

रोकथाम

थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज के सीईओ और प्रबंध निदेशक ए वेलुमनी का 40 वर्षों के शोध के साथ यह दावा है कि यह एक ऐसी बीमारी नहीं है,जो खराब खाने की आदतों के कारण शुरु होता है. इसलिए इसे रोका नहीं जा सकता है. वहीं डॉ. ए वेलुमनी का कहना है कि 5 रोगियों में से 4 महिलाएं होती हैं, जिन्हें ये बीमारी होती है, जिसका अधिकत्तर कारण मैनोपौज होता है. हालांकि सुरक्षित डायग्नोस्टिक्स के साथ शुरुआती और आसान इलाज की दिशा में हमारा इस बीमारी के खिलाफ यह कदम है.

माता पिता से मिलने वाले इस बीमारी के रोकथाम की बात करें तो डॉ. ए वेलुमनी का कहना है कि मां बनने से पहले या प्रैग्नेंसी के दौरान कुछ टेस्ट के जरिए होने वाले बच्चों को इन बीमारी से बचाया जा सकता है. टेस्टिंग और टैक्नौलौजी के जरिए इस बीमारी से बचा जा सकता है. हालांकि आम आदमी इन टेस्ट को महंगा समझता है. लेकिन अगर सरकार चाहे तो इन टेस्ट को प्रैग्नेंट महिलाओं के लिए अनिवार्य कर सकता है, जिससे इस बीमारी को कम किया जा सकता है.

थायराइड की गड़बड़ी लाइफस्टाइल से जुड़ी गड़बड़ी नहीं है और पर्याप्त मात्रा में आयोडीन लेने के अलावा किसी और प्रयास की आवश्यकता नहीं होती है. भारत सरकार द्वारा यूनिवर्सल साल्ट आयोडिनेशन को अपनाए जाने से अब आयोडाइज्ड नमक में पर्याप्त आयोडीन उपलब्ध है.

थायराइड की गड़बड़ी का समय पर पता चल जाए और सही उपचार किया जाए तो इस स्थिति की गंभीरता को बढ़ने से रोका जा सकता है. महिलाओं को साल में 1 बार थायराइड ग्रंथि की जांच जरूर करानी चाहिए ताकि बीमारी का जल्दी पता लग सके और समय से इलाज हो सके.

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