अकसर लड़कियां खुजली या जलन को नौर्मल समझ कर इन्हें नजरअंदाज कर देती हैं जिस से इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. सो, वैजाइनल इन्फैक्शंस के बारे में हर लड़की को पता होना चाहिए.  लड़कियों में वैजाइनल इन्फैक्शन आम बात हो गई है. औसतन 70 फीसदी लड़कियों को उन के जीवन में एक न एक बार किसी तरह का वैजाइनल इन्फैक्शन जरूर होता है. वैजाइनल इन्फैक्शंस कम तकलीफदेह भी हो सकते हैं और भयंकर चिंता का कारण भी बन सकते हैं. यह इन्फैक्शंस यूट्रस, सर्वाइकल और अन्य जननांगों के कैंसर का मुख्य कारण होते हैं. यह शरीर का जितना नाजुक हिस्सा है उतनी ही सख्त इस की देखभाल होनी चाहिए. आइए, मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाइनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से वैजाइनल इन्फैक्शंस के बारे में जानते हैं.

किसकिस तरह के वैजाइनल इन्फैक्शंस होते हैं और इन के होने के क्या कारण हैं?

वैजाइनल इन्फैक्शंस बैक्टीरियल हो सकते हैं, फंगल हो सकते हैं और मिक्स्ड हो सकते हैं. वैजाइना यानी योनि में कुछ गुड बैक्टीरियाज होते हैं जिन्हें फ्लोरास कहते हैं. ये हमारे लिए हैल्दी होते हैं और वैजाइनल एरिया को गीला या नम रखते हैं.

ये भी पढ़ें- मां बनने के लिए इनसे बचना है जरूरी

वैजाइनल एरिया गीला होना चाहिए. नौर्मल बैक्टीरिया इंटिमेट, हैल्दी या कहें फ्रैंडली बैक्टीरिया होते हैं, जो वैजाइना का पीएच मेंटेन करते हैं. इन बैक्टीरियाज में किसी भी तरह के डिस्टर्बैंस होने से वैजाइनल इन्फैक्शन हो जाता है. अगर वैजाइना का पीएच चेंज होता है तो बाहरी बैक्टीरियाज फ्रैंडली बैक्टीरियाज पर अटैक कर देते हैं.

पीएच के डिस्टर्ब होने पर वैजाइना में भिन्न लक्षण दिखने लगते हैं जिन से वैजाइनल इन्फैक्शंस का पता चलता है. कभी वैजाइना में इचिंग होती है, जलन होती है, बहुत अधिक वैजाइनल डिस्चार्ज होता है, ड्राईनैस और रैडनैस भी होने लगती है. फ्रैंडली बैक्टीरियाज के आपस में असंतुलन से भी यह हो सकता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...