कोलकाता से मुंबई के लिए उड़ान भर रही फ्लाइट में एक 60 वर्षीय महिला को जब फ्लाइट में कार्डिएक अरेस्ट हुआ, उसे सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द होने लगा तो सारे विमानकर्मी परेशान हो गए है कि उस महिला को बचाया कैसे जाए, क्योंकि लैंडिंग में अभी भी आधे घंटे की देरी थी. दुर्भाग्यवश विमान में उस दिन कोई डाक्टर उपलब्ध नहीं था, ऐसे में एक व्यक्ति उठ कर आया और उस महिला को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन यानि सीपीआर दिया, जिस से महिला को थोड़ा आराम मिला और मुंबई उतरते ही उसे जल्दी से हौस्पिटल पहुंचाया गया, जिस से उस की जान बच गई.
इस बारे में नवी मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हौस्पिटल के डाइरैक्टर, कार्डियोलौजी डाक्टर जीआर काणे कहते हैं कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन या सीपीआर एक प्रक्रिया है, जिसे किसी व्यक्ति के अचानक बेहोश होने, सांस न ले पाने या उसे अचानक कार्डियक एरेस्ट (दिल का दौरा) आने पर उस दशा को स्थिर करने के लिए किया जाता है. सीपीआर (CPR) और एईडी यानि औटोमेटेड ऐक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED) जो एक ऐसा उपकरण है, जिस का इस्तेमाल हृदय को विद्युत झटका दे कर उस की सामान्य लय को बहाल करने के लिए किया जाता है। अगर सही समय पर और जहां दिल का दौरा पड़ा है उसी जगह पर उपलब्ध हुआ, तो जानें बच सकती हैं.
दरअसल, जब ह्रदय की धड़कनें रुक जाती हैं, तब शरीर के अंगों को औक्सीजन नहीं मिल पाता है। ऐसे में हमारा मस्तिष्क सब से संवेदनशील होता है और महज 3 से 5 मिनट में उस पर बुरे असर दिखने लगते हैं. सीपीआर ऐसी प्रक्रिया है, जिस के जरीए ह्रदय की धड़कनों को फिर से शुरू किया जाता है और आगे इलाज किए जाने तक मस्तिष्क को औक्सीजन की आपूर्ति जारी रखी जाती है. ज्यादातर कार्डिएक अरेस्ट ह्रदय की अनियमित गति की वजह से होते हैं, जिसे वैंट्रिक्युलर फिब्रिलेशन कहा जाता है. एईडी द्वारा इमरजैंसी डीफिब्रिलेशन के जरीए इसे सामान्य किया जा सकता है. हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशन, कार्यालयों, सोसाइटियों आदि भीड़भाड़ वाली जगहों पर इसे उपलब्ध कराया जाता है.