GBS : कोरोना से मची हाहाकार के बाद एक और बीमारी लोगों में खौफ की वजह बन गयी है. जिसका नाम है ‘गुलियन बेरी सिंड्रोम’ जिसे GBS भी कहा जाता है. पूणे में लगातार इसके मरीज बढ़ते जा रहे हैं और उनमें से कुछ मौत के मुंह में भी समा चुके हैं जबकि बहुत से लोगों की हालत गंभीर है. वहां प्रशासन लगातार इस बीमारी से बचने की सलाह दे रहा है. जैसे कोरोना का वायरस आपके शरीर में अंदर पहुंचने पर नुकसान पहुंचाता है लेकिन मात्र हाइजीन यानी साफसफाई का ध्यान रखने से बहुत से लोग इससे बचने में सफल हुए, ठीक वैसे ही GBS में बैक्टीरिया आपके शरीर पर हमला करता है, लेकिन इससे भी बचा जा सकता है. आपको इसके लिए बस अपनी आदतों में बदलाव करना, साफसुथरा खाना और स्वच्छ वातावरण में रहने की जरुरत है. खुद को इस बैक्टीरिया से बचाने के लिए आपको क्या मानक अपनाने हैं उससे पहले बात करते हैं कि ये क्या है और कैसे आपके शरीर को कैसे प्रभावित करता है.
क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम?
गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर औटोइम्यून न्यूरोलौजिकल डिसऔर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) पर हमला करने लगती है. यह मुख्य रूप से परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) को प्रभावित करता है, जिससे कमजोरी, झुनझुनी (Tingling), और यहां तक कि लकवा (Paralysis) भी हो सकता है. पेरिफेरल नर्वस में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर की तंत्रिकाएं शामिल होती हैं, जैसे कि चेहरे, बाजुओं और पैरों की तंत्रिकाएं. यहां औटोइम्यून से मतलब है कि हमारा इम्यून सिस्टम जो कि हमें बीमारियों से बचाता है, वह अचानक शरीर को ही अटैक करना शुरू कर देता है.
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