सामान्यतः जन्म से तीन साल के भीतर औटिज्म के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं. अलग-अलग बच्चों में इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई पड़ते हैं. बर्फी में प्रियंका चोपड़ा का निभाया ‘झिलमिल’ का किरदार तो आपको याद ही होगा. वही झिलमिल जो शरीर से तो बड़ी हो गई थी लेकिन उसका दिमाग छोटे बच्चों जैसा था. दरअसल, प्रियंका चोपड़ा का यह किरदार औटिज्म नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित था. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है. और वह प्रतिक्रियाएं देने तथा आस पास के माहौल से जुड़ने में सक्षम नहीं होता.
क्या है औटिज्म
औटिज्म एक ऐसा न्यूरोलौजिकल डिसऔर्डर है. इसे औटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसऔर्डर भी कहा जाता है. इससे पीड़ित बच्चा बचपन से ही दूसरे बच्चों की तरह अपने परिवार के सदस्यों या आसपास के माहौल के साथ जुड़ नहीं पाता. उसे दूसरों की बात समझने, उन्हें अपनी बात समझाने दिक्कत आती है.
कारण
औटिज्म के वास्तविक कारणों के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. शोधों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां में थायराइड की कमी भी इसका कारण हो सकती है.
लक्षण
हर बच्चे में औटिज्म के अलग-अलग लक्षण होते हैं लेकिन फिर भी उसके कुछ सामान्य लक्षण होते हैं. इनके बारे में जानना जरूरी है. अगर बच्चा नौ महीने का होने के बाद भी मुस्कुराता नहीं है या कोई प्रतिक्रिया नहीं देता तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरूरत है. इसके अलावा आवाज सुनकर प्रतिक्रिया न देना, बोलने में दिक्कत होना, लगातार हिलते रहना, बहुत ध्यान से एक ही चीज को देखते रहना आदि औटिज्म रोग के लक्षण होते हैं.