पिछले साल की आंकड़े इस दिशा में चौकाने वाले है, जब भारत में सांप के काटने से हर साल 64000 व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है. खासतौर पर वेस्टर्न घाट्स के एरिया में कई जहरीले प्रजाति के सापों की भरमार है, ऐसे में वहां काम करने जाने वाले आदिवासियों और ग्रामीणों जिनमे खासकर महिलाये और बच्चे होते है, उन्हें कई बार विषैले सांप काट लेते है, ऐसे में उन्हें जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास जाना जरुरी होता है. असल में सांप के काटने पर अधिकतर मौतें डर से होती है, लेकिन अगर इसका सही इलाज़ मिल जाए तो व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है.
इसी मकसद को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के नारायण गांव के डॉक्टर सदानंद राउत और उनकी पत्नी डॉक्टर पल्लवी राउत ने जहरीले सांप के काटने के इलाज आज से 35 साल पहले अपने गांव में शुरू किया और आज उनके गांव में सांप के काटने से मृत्यु दर शून्य हो चुका है, जो काबिलेतारीफ है, जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिला है, कैसे उन्होंने इस पर विजय पाई है. आज तक दोनों ने 6000 से अधिक लोगों की जान सांप के जहर उतारकर बचाई है. कैसे करते है वे आइये जानें.
सांप काटने के इलाज के बारें में पूछने पर डॉक्टर सदानंद कहते है कि मैं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाईजेशन (WHO) और नेशनल प्रोटोकोल ट्रीटमेंट गाइडलाइन्स के आधार पर इलाज करता हूँ, इसमें ‘एंटी स्नेक वेनम’ जितनी जल्दी हो सके रोगी को देता हूँ, इसके अलावा बाकी जो भी इमरजेंसी लक्षण रोगी में दिखते है, उसके आधार पर इलाज करता हूँ. न्यूरोटोक्सिक स्नेक बाईट में अधिकतर वेंटिलेटर, शॉक मेनेजमेंट, आदि देना पड़ता है. इसमें रोगी की हार्ट बीट स्लो हो जाती है और पूरे शारीर में ब्लीडिंग होने लगती है. कई बार आँखों में भी ब्लीडिंग होती है.