घुटने में संवेदन यानी सैंसेशन महसूस कराने वाली नसें पीठ के निचले हिस्से से निकल कर आती हैं. कूल्हों, टांगों और टखनों को भी ये नसें ही सैंसेशन प्रदान करती हैं. ऐसे में किसी गहरी चोट का दर्द नसों से होता हुआ बाहरी हिस्से पर भी महसूस होता है, जिसे रैफर्ड पेन कहते हैं. घुटने का दर्द या तो सीधे घुटने से ही पैदा हो सकता है या फिर कूल्हे, टखने या पीठ के निचले हिस्से से रैफर हो कर भी आ सकता है. घुटने में दर्द के ये सभी स्रोत घुटने के जोड़ से ही संबंधित होते हैं.

तेज दर्द की वजह

घुटने में आचानक तेज दर्द फ्रैक्चर्स, स्नायुबंध यानी लिगामैंट के फटने या टूटने, कूल्हे की हड्डी खिसकने, घुटने या नीकैप के अपनी जगह से हट जाने की वजह से हो सकता है.

दर्द होने की वजहें

आर्थ्राइटिस: घुटने का आर्थ्राइटिस घुटने के जोड़ों में सूजन संबंधी एक तरह का विकार है, जो अकसर तकलीफदेह होता है. आर्थ्राइटिस के कई कारण हो सकते हैं. जैसे:

औस्टियोआर्थ्राइटिस: ये घुटने की नर्म हड्डी के डिजैनरेशन की वजह से होता है और इस की चरम अवस्था में हड्डियां एकदूसरे से टकरा कर घिसने लगती हैं.

लक्षण: इस में कोई भी काम करने के दौरान लगातार और स्थाई रूप से तेज दर्द होने लगता है. लगातार बैठने से नर्म हड्डियों में भी कठोरता आने का एहसास होता है.

उपचार: उपचार का मुख्य लक्ष्य दर्द को नियंत्रित करना होता है. इस के लिए दर्दनिवारक और ऐंटीइनफ्लैमेटरी दवा दी जाती है. गंभीर स्थिति में घुटने की ब्रेसिंग कराने या घुटने के जोड़ों को बदल कर सिंथैटिक जौइंट लगाने की सलाह दी जाती है.

रूमेटाइड आर्थ्राइटिस: यह पूरे शरीर से जुड़ी एक बीमारी है, जो शरीर के कई जोड़ों, खासतौर से घुटनों को प्रभावित करती है. इसे एक तरह की आनुवंशिक बीमारी माना जाता है.

लक्षण: इस में सुबह के वक्त घुटनों में जकड़न और सूजन के साथ तेज दर्द महसूस होता है और छूने पर घुटनों में गरमाहट भी महसूस हो सकती है.

उपचार: इस के लिए भी दर्दनिवारक दवा, सूजन दूर करने वाली दवा और बीमारी को बढ़ने से रोकने वाली या जलन को कम कम करने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने वाली दवा दी जाती है. बायोलौजिक्स दवा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

क्रिस्टेलाइन आर्थ्राइटिस: यह अत्यधिक दर्द पैदा करने वाला आर्थ्राइटिस का एक ऐसा रूप है, जो घुटने या अन्य जोड़ों में बनने वाले क्रिस्टल्स की वजह से पैदा होता है. ये क्रिस्टल्स अवशोषण में किसी तरह की गड़बड़ी होने या कई तरह के प्राकृतिक पदार्थों जैसे यूरिक ऐसिड और कैल्सियम पाइरोफास्फेट आदि के मैटाबोलिज्म की वजह से बनते हैं.

लक्षण: घुटने के जोड़ों में सूजन साफतौर पर दिखने लगती है. इस के कारण घुटनों में तेज दर्द और गरमाहट या जलन सी महसूस होती है. ऐसा लगता है जैसे घुटनों ने बिलकुल काम करना बंद कर दिया है.

उपचार: इस के उपचार के तहत सूजन को रोकने वाली दवा दी जाती है, साथ ही क्रिस्टल्स के फौर्मेशन को रोकने के लिए कई तरह के कैमिकल्स के मैटाबौलिज्म को प्र्रभावित करने वाली दवा भी दी जा सकती है. शराब का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. गठिया को बढ़ने से रोकने के लिए खानपान में भी गई तरह के बदलाव किए जाते हैं.

बर्साइटिस: इस में ट्रामा, इन्फैक्शन या क्रिस्टल्स जमा होने की वजह से घुटने के विभिन्न बर्साइज सूज जाते हैं.

लक्षण: इस में अचानक या लगातार आघात होने की वजह से घुटने में तेज दर्द के साथ सूजन भी बनी रहती है. बर्साइटिस के भी 3 अलगअलग रूप देखने को मिलते हैं.

प्रीपटेलर बर्साइटिस: यह एक तहह का कौमन बर्साइटिस है, जो आमतौर पर उन लोगों में ज्यादा होता है, जो घुटनों के बल ज्यादा काम करते हैं. यह अकसर घरों में काम करने वाली मेड या कारपेट बनाने वाले लोगों को होता है.

ऐनसेराइन बर्साइटिस: यह ज्यादातर मोटे और भारी वजन वाले लोगों को होता है. यह ऐथलीट्स और अन्य लोगों को भी प्रभावित कर सकता है.

उपचार: इस में ज्यादातर घरेलू उपचार और देखरेख पर जोर दिया जाता है. गंभीर स्थिति में समयसमय पर स्टेराइड के इंजैक्शन दे कर भी इस का उपचार किया जाता है.

इन्फैक्शियस आर्थ्राइटिस: घुटनों का यह संक्रमण गनोरिया नामक एक कौमन सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज की वजह से होता है. यह बीमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को दबाती या कम करती है, जिस के चलते इस का असर घुटनों पर भी पड़ता है.

लक्षण: घुटनों में इन्फैक्शन के चलते तेज दर्द वाली सूजन होने लगती है. साथ ही जो लोग इस इन्फैक्शन से ग्रस्त होते हैं, वे अकसर बुखार आने या कंपकंपी महसूस होने की शिकायत भी करते हैं. अगर इन्फैक्शन ज्यादा गंभीर नहीं है, तो बुखार नहीं होता है.

उपचार: इस के उपचार के लिए गहन ऐंटीबायोटिक थेरैपी की जरूरत होती है, साथ ही जरूरत पड़ने पर इन्फैक्शन को बाहर निकालने के लिए सर्जरी भी की जा सकती है.

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