किसी ने सही कहा है, हंसने से हस्ती बनती है. हंसने से हैल्दी बनते हैं. हंसने से बीमारियां दूर भागती हैं.शोध बताते हैं कि हंसने से हैप्पी हारमोंस रिलीज होते हैं, जिस से दिल की बीमारियां दूर होती हैं, अच्छी सोच बनती है और चेहरे पर ग्लो आता है. कहा भी गया है कि लाफ्टर इज ए बैस्ट मैडिसिन हंसी एक बेहतर दवा का काम करती है. मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि हंसने से न सिर्फ फेफड़ों की ऐक्सरसाइज होती है बल्कि फेशियल मसल्स भी मजबूत होती हैं.

सुबह की कुछ मिनटों की हंसी आप का पूरा दिन बना देती है. लाफ्टर डे इसीलिए मनाया जाता है ताकि बढ़ रहे स्ट्रैस और डिप्रैशन जैसी दिक्कतों से हंसना भूल चुके लोगों को इस के फायदों के बारे में बताया जा सके.

लाफ्टर क्लब के एक मैंबर कर्नल हरमिंदर सिंह कहते हैं कि उन के जीवन में हंसी बहुत महत्त्व रखती है. हंसने और खुश रहने के चलते ही उन की सेहत सुधरी है. हंसी से सिर्फ सेहत ही नहीं सुधरती बल्कि इस का असर पेड़पौधों पर भी होता है.

हसीं बरकरार रखें

इंडियन नेवी से रिटायर्ड, अशोक साहनी कहते हैं कि हमारे जीवन में हंसना उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना. अगर अपने जीवन में हंसी बरकरार रखें तो शरीर हैल्दी बना रहता है.

‘हंसतेहंसते कट जाएं रस्ते, जिंदगी यों ही चलती रहे…’ यह गाना हमें यही सीख देती है कि जिंदगी में दुख हो या खुशी, हमें हंसतेमुसकराते रहना चाहिए. वर्र्ल्ड लाफ्टर रिपोर्ट की माने तो 146 देशों की सूची में भारत का स्थान 136वां है. इसलिए हमें ज्यादा हंसने की जरूरत है.

एक हिंदी फिल्म का यह संवाद, ‘मैं तो कहता हूं, कभी क्यों, दिनभर में इतनी बार हंसो कि हाफ सैंचुरी लग जाए’ इसलिए हंसने के बहाने ढूंढ़ें. जितनी दफा मन करे हंस दें क्योंकि हंसने से सिर्फ माहौल ही अच्छा नहीं बनता बल्कि आप की मानसिक और शारीरिक सेहत भी दुरुस्त बनती है.

लाजवाब फायदे

हर किसी की जिंदगी में छोटीमोटी परेशानियां तो लगी ही रहती हैं. उन्हें ज्यादा सीरियसली न लें. स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए हंसना जरूरी है. हंसना जिंदगी के लिए टौनिक है. इस के बिना जिंदगी बेकार, बेजान है. इसलिए बेजान जिंदगी को बेजोड़ बनाने के लिए हंसी बहुत जरूरी है.

हंसताखिलखिलाता चेहरा हर किसी को पसंद आता है. इंसान को हंसता देख कर सामने वाला भी हंस पड़ता है. अंग्रेजी में कहा भी गया है कि लांग फेस्ट मैन इज सो बोरिंग यानि कि हमेशा उदास रहने वाले लोग काफी बोरिंग होते हैं.

हंसना क्यों है जरूरी और क्या हैं इस के फायदे, आइए जानते हैं:

द्य जरा सी हंसी, जरा सी खुशी आप को कई बीमारियों से दूर रखती है. हंसने से दिल और दिमाग खुश हो जाता है. आप की लाइफ में हैप्पीनैस आने लगती है. हंसने से तनमन में उत्साह का संचार होता है. हंसना एक उत्तम टौनिक का काम करता है. नैचुरोपैथी ऐक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि हंसना शरीर के लिए किसी दवा से कम नहीं है. इसीलिए तो आज जगहजगह हास्य क्लब बनाए गए हैं ताकि भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी से मुक्ति मिल सके.

द्य बातचीत करते समय हम जितनी औक्सीजन लेते हैं उस से 6 गुना अधिक औक्सीजन हंसते समय मिलती है. मनोवैज्ञानिक भी तनाव से ग्रस्त व्यक्ति को हंसने और खुश रहने की सलाह देते हैं. उन का कहना है कि जब आप मुसकराते हैं तो आप का मस्तिष्क अपनेआप सोचने लगता है कि आप खुश हैं.

द्य खुल कर हंसने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही बना रहता है. जब आप हंसते हैं तब आप के शरीर में ज्यादा मात्र में औक्सीजन पहुंचती है, जो हार्ट पंपिंग रेट को ठीक रखने में मदद करती है.

द्य हंसने से आप का इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है, जो आप को कई तरह की बीमारियों से बचाता है. इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि आप हंसते, मुसकराते और खिलखिलाते रहें.

द्य हंसने से शरीर में मैलाटोनिन नाम का हारमोन ज्यादा बनता है जो आप को रात में सुकून की नींद दिलाने में मदद करता है. जिन लोगों को नींद की समस्या हो उन्हें हंसने की आदत डाल लेनी चाहिए.

हंसने से हमारी कैलोरी बर्न होती है. इस से मोटापे की समस्या से छुटकारा मिलता है. कई फिजियोथेरैपिस्ट भी मानते हैं कि हंसना बहुत बड़ी ऐक्सरसाइज है, जो किसी भी समय की जा सकती है.

हंसने से आप लंबे समय तक जवां और खूबसूरत बने रह सकते हैं. जब आप खुल कर हंसते हैं तो चेहरे की मांसपेशियां अच्छी तरह से काम करती हैं जिस से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है. इस से आप यंग और खूबसूरत दिखते हैं. इसलिए हंसने में कंजूसी बिलकुल न करें.

द्य हंसने से शरीर में कई हारमोंस ऐक्टिव होते हैं. उन में एक सैक्स हारमोन भी है. हंसने से आप सैक्स के दौरान बेहतर परफौर्मैंस दे सकते हैं. नियमित रूप से हंसने से हार्टअटैक और अन्य दिल से जुड़ी बीमारियों से भी बचा जा सकता है. दरअसल, हंसने से आप लोगों से सोशली एक्टिव हो जाते हैं, जिससे तनाव खुद ब खुद कम हो जाता है.

कोई व्यक्ति हंसता है तो वह पौजीटिविटी की तरफ बढ़ता है. पौजीटिव होने से आप हर तरह के काम में ज्यादा लौजिकल होते हैं. चाहे वह दफ्तर का काम हो या घर का. आप हर काम को दोगुन्ने उत्साह से करते हैं. अगर आप खुश हैं तो अपने बौस से बेहतर संवाद कायम कर पाते हैं. आप चुस्त एवं फुरतीला रहते हैं. हंसने से दिमाग शांत और तनावरहित रहता है जिस से आप का खुद पर यकीन बढ़ता है.

जो बातें आप को तनाव देती हैं उन से दूर रहें. बहुत से लोग बीते और आने वाले कल की सोचसोच कर दुखी रहते हैं. इस से कोई फायदा नहीं क्योंकि जिंदगी तो आज में है. इसलिए आज में जीएं. आप को जो काम अच्छा लगता है वह करें. न सोचें कि लोग क्या सोचेंगे. काम की कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो अपने लिए थोड़ा समय जरूर निकालें. इस से आप को आंतरिक खुशी मिलेगी. जैसेकि म्यूजिक सुनें, डांस करें, अच्छीअच्छी किताबें पढ़ें, टीवी पर अपना पसंदीदा प्रोग्राम देखें, अपने पालतू के साथ समय बिताएं, प्रकृति को निहारें, शौपिंग करें. जो भी आप को अच्छा लगे वह करें पर दुखी न रहें. जिंदगी का हर पल कीमती है. बीता पल वापस कभी लौट कर नहीं आता इसलिए अपने जीवन के हर पल को खुश हो कर हंसतेमुसकराते हुए बिताएं.

बड़ी खुशियों के इंतजार में छोटीछोटी खुशियों को अनदेखा न करें. जब भी मौका मिले हंसें, खुल कर हंसें. बहुत से लोग अकेलेपन से दुखी रहते हैं. लेकिन सोचो कि अकेले हैं तो क्या गम है?

महात्मा गांधी, चर्चिल, अब्राहम लिंकन, जौर्ज बर्नार्ड शा, सुकरात आदि कुछ ऐसे नाम है जिन्होंने मुसकराहट और विनोदप्रियता को अपना कर खुद को चिंतामुक्त रखा. व्यक्तित्व निर्माण के क्षेत्र में महान हस्ती स्वेट मौडर्न ने लिखा है कि मुसकराहट पर खर्च कुछ नहीं आता है पर यह पैदा बहुत करती है. इसे पाने वाले मालामाल हो जाते हैं परंतु देने वाले दरिद्र नहीं होते हैं. एक क्षण की मुसकान कभीकभी स्मृति बन जाती है जो बहुत काम आती है. तब भी यह मोल नहीं ली जा सकती है, मांगी नहीं जा सकती है, उधार नहीं दी जा सकती है क्योंकि जब तक यह दी न जाए तब तक संसार में यह किसी के किसी काम की नहीं है.

विज्ञान भी कहता है कि हंसना सेहत के लिए बहुत जरूरी है. कुदरत ने यह उपहार हम सभी को मुफ्त में दिया है. लेकिन जापान में हंसी सीखने के लिए लोगों को ट्रेनिंग लेनी पड़ रही है. इस के लिए उन्हें 4,500 येन चुकाने पड़ रहे हैं.

कोरोनाकाल में जापानियों ने मास्क पहनने का सख्ती से पालन किया. फरवरी में हुए सर्वे के मुताबिक, सरकार से छूट मिलने के बाद 8% ने ही मास्क छोड़ा. इस का साइड इफैक्ट यह हुआ कि लोग हंसनामुसकराना ही भूल गए और अब उन्हें हंसनेमुसकराने की ट्रेनिंग लेनी पड़ रही है.

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