काॅलेस्टेराॅल एक तरल, वसा-जैसा तत्व है जो आपके शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है. जो भोजन को पचाने और हार्मोन का उत्पादन करने में मदद करता है. मानव शरीर कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है जिसकी शरीर को जरूरत होती है और इसके अलावा अतिरिक्त या ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को शरीर के लिए ठीक नहीं माना जाता. ऐसे में काॅलेस्टेराॅल की नियमित जांच जरूरी हो जाती है.
काॅलेस्टेराॅल की नियमित जांच क्यों जरूरी है इस बारे में बता रहे हैं स्टार इमेजिंग एंड पैथ लैब के निदेशक समीर भाटी.
काॅलेस्टेराॅल की जरूरतः यह हार्मोन, विटामिन डी, और ऐसे जरूरी घटकों का निर्माण करता है जो आपके भोजन को पचाने में मदद करते हैं.
यह कहां से आता हैः मुख्य रूप से आपका शरीर इसे आपकी जरूरत के हिसाब से तैयार करता है, लेकिन अंडे, मांस, पनीर आदि जैसे कुछ बाहरी स्रोतों से भी हम इसे प्राप्त करते हैं.
प्रकारः
- एचडीएल- यह हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन के लिए जाना जाता है. इसे अक्सर ‘अच्छा’ काॅलेस्टेराॅल कहा जाता है, क्योंकि यह आपके शरीर के अन्य हिस्सों से काॅलेस्टेराॅल वापस आपके लीवर तक पहुंचाता है. आपका लीवर फिर आपके शरीर से इस काॅलेस्टेराॅल को बाहर निकालता है.
- एलडीएल- यह लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन के लिए जाना जाता है. इसे कभी कभी खराब काॅलेस्टेराॅल समझा जाता है, क्योंकि एलडीएल लेवल से आपकी धमनियों में प्लेक के निर्माण को बढ़ावा देता है.
- वीएलडीएल- इसे बेहद लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन के लिए जाना जाता है. कुछ लोग वीएलडीएल को खराब काॅलेस्टेराॅल भी कहते हैं, क्योंकि इससे आपकी धमनियों में प्लेक के निर्माण में इजाफा होता है. लेकिन वीएलडीएल और एलडीएल अलग अलग हैं. जहां वीएलडीएल मुख्य तौर पर ट्राइग्लिसराइड से जुड़ा होता है और एलडीएल मुख्य रूप से काॅलेस्टेराॅल से.
ये भी पढ़ें- बहुत अधिक दौड़ने से हो सकती है रनर्स नी की समस्या, सावधानी जरूरी