काॅलेस्टेराॅल एक तरल, वसा-जैसा तत्व है जो आपके शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है. जो भोजन को पचाने और हार्मोन का उत्पादन करने में मदद करता है. मानव शरीर कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है जिसकी शरीर को जरूरत होती है और इसके अलावा अतिरिक्त या ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को  शरीर के लिए ठीक नहीं माना जाता. ऐसे में काॅलेस्टेराॅल की नियमित जांच  जरूरी  हो जाती है.

काॅलेस्टेराॅल की नियमित जांच क्यों जरूरी है इस बारे में बता रहे हैं स्टार इमेजिंग एंड पैथ लैब के निदेशक समीर भाटी.

काॅलेस्टेराॅल की जरूरतः यह हार्मोन, विटामिन डी, और ऐसे जरूरी घटकों का निर्माण करता है जो आपके भोजन को पचाने में मदद करते हैं.

यह कहां से आता हैः मुख्य रूप से आपका शरीर इसे आपकी जरूरत के हिसाब से तैयार करता है, लेकिन अंडे, मांस, पनीर आदि जैसे कुछ बाहरी स्रोतों से भी हम इसे प्राप्त करते हैं.

 प्रकारः

  1. एचडीएल- यह हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन के लिए जाना जाता है. इसे अक्सर ‘अच्छा’ काॅलेस्टेराॅल कहा जाता है, क्योंकि यह आपके शरीर के अन्य हिस्सों से काॅलेस्टेराॅल वापस आपके लीवर तक पहुंचाता है. आपका लीवर फिर आपके शरीर से इस काॅलेस्टेराॅल को बाहर निकालता है.
  2. एलडीएल- यह लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन के लिए जाना जाता है. इसे कभी कभी खराब काॅलेस्टेराॅल समझा जाता है, क्योंकि एलडीएल लेवल से आपकी धमनियों में प्लेक के निर्माण को बढ़ावा देता है.
  3. वीएलडीएल- इसे बेहद लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन के लिए जाना जाता है. कुछ लोग वीएलडीएल को खराब काॅलेस्टेराॅल भी कहते हैं, क्योंकि इससे आपकी धमनियों में प्लेक के निर्माण में इजाफा होता है. लेकिन वीएलडीएल और एलडीएल अलग अलग हैं. जहां वीएलडीएल मुख्य तौर पर ट्राइग्लिसराइड से जुड़ा होता है और एलडीएल मुख्य रूप से काॅलेस्टेराॅल से.

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 सामान्य कारणः

अस्वस्थ खानपान आदतें, शारीरिक गतिविधि का अभाव, धूम्रपान, उम्र, आनुवंशिकता, वजन, नस्ल.

काॅलेस्टेराॅल से जुड़ी समस्याएंः

यदि आपके शरीर में काॅलेस्टेराॅल की मात्रा ज्यादा है तो प्लेक निर्माण के लिए रक्त में यह अन्य तत्वों के साथ मिल सकता है. प्लेक आपकी धमनियों की दीवारों पर चिपकता है. इस तरह के प्लेक को एथरोसक्लेरोसिस कहा जाता है. इससे कोरोनरी धमनी की समस्या पैदा हो सकती है जिसमें आपकी कोरोनरी धमनियां अवरुद्ध या बंद भी हो सकती हैं.

विशेष मामले:

अनुवांशिकता भी लोगों में ज्यादा काॅलेस्टेराॅल की वजह हो सकती है. उदाहरण के लिए, फैमिलियल हाइपरकाॅलेस्टोरोलेमिया (एफएच) ज्यादा काॅलेस्टेराॅल का एक स्वरूप है. अन्य चिकित्सकीय स्थितियां और खास दवाएं भी ज्यादा काॅलेस्टेराॅल का कारण बन सकती हैं.

जांच जरूरीः

इस जांच को लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के तौर पर जाना जाता है और हार्ट अटैक, सेरोटिड आर्टरी डिजीज, स्ट्रोक, पेरिफेरल आर्टरियल डिजीज आदि से बचने के लिए नियमित तौर पर जांच जरूरी है.

नियमित काॅलेस्टेराॅल जांच क्यों जरूरी है?

1.यदि किसी के पारिवारिक इतिहास (जैसे

हाइपरकाॅलेस्टेराॅलेमिया, हाइपरलिपिडेमिया, हाइपरलिपोप्रोटीनेमिया) के मामले में 19 साल से कम उम्र के मुकाबले हर 5 साल, अन्यथा सामान्य तौर पर जरूरत नहीं.

  1. 40 साल से ऊपर, 1 साल या 6 महीने, आपके वजन और पिछले इतिहास के आधार पर.

 किस उम्र में ये जांच कराई जानी चाहिए?

  1. जो लोग 19 साल या इससे कम उम्र के हैंः
  • पहला टेस्ट 9 से 11 साल की उम्र के बीच कराना चाहिए
  • बच्चों को हर 5 साल में यह टेस्ट कराना चाहिए
  • कुछ बच्चों में यह टेस्ट 2 साल की उम्र में शुरू कराया जा सकता है, यदि उनके परिवार में हाई ब्लड काॅलेस्टेराॅल, हार्ट अटैक, या स्ट्रोक का रिकाॅर्ड रहा हो

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  1. जो लोग 20 साल या इससे कम उम्र के हैं.
  • युवा किशोरों में यह टेस्ट हर 5 साल में कराना चाहिए.
  • 45 से 65 साल उम्र के बीच के पुरुषों और 55-65 के बीच की महिलाओं को यह टेस्ट हर 1 से 2 साल में कराना चाहिए.
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