इस विश्व एड्स दिवस (1 दिसंबर 2018), रोशे डायग्नोस्टिक्स इंडिया दुनिया भर में लोगों के बीच एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने और 2020 तक 75 प्रतिशत आबादी के बीच "एचआईवी रोकथाम" के लिए काम कर रहा है. यह लक्ष्य यूएन एड्स द्वारा निर्धारित किया गया है. वैसे तो ज्यादातर लोगों को पता है कि असुरक्षित यौन संबंध से वे एचआईवी से संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बहुत बडी जनसंख्या को ये नहीं मालूम कि एचआईवी संक्रमित होने का एक और तरीका है, वह है असुरक्षित रक्त चढ़ाने (रक्ताधान) की प्रक्रिया.
2017 के अंत तक भारत में अनुमानत: 21.40 लाख लोग एचआईवी संक्रमित है. खतरनाक बात ये है कि उनमें से 20 प्रतिशत अपने संक्रमित होने को ले कर अनजान हैं. हालांकि एचआईवी पर जागरूकता पैदा करने, एड्स के साथ जीने, असुरक्षित यौन संबंधों से बचने को ले कर बहुत कुछ किया जा रहा है. लेकिन आज जरूरी है कि भारत की बड़ी आबादी को विभिन्न तरीकों से एचआईवी संक्रमण के संचारित होने को ले कर जागरूक किया जाए. लोगों को इस घातक संक्रमण से बचने के लिए रक्ताधान से पहले रक्त परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है, ताकि जो संक्रमित है वे आगे संक्रमण न फैलाए.
2016 में किए रक्त बैंकों का राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने मूल्यांकन किया था. इसके मुताबिक, देश में कुल 2626 कार्यात्मक रक्त बैंक हैं. भारत को प्रति वर्ष 12.2 मिलियन करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, जिसमें से केवल 11 मिलियन ब्लड यूनिट ही मिल पाते हैं. ऐसे में, सुरक्षित रक्ताधान पर ध्यान केंद्रित करना बहुत आवश्यक है.