दिल्ली-एनसीआर में आर्थराइटिस की एक बड़ी वजह अंडरग्राउंड वौटर या बोरवेल के पानी का इस्तेमाल भी है. डाक्टरों का कहना है कि अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से लोगों की हड्डियों के जौइंट खराब हो रहे हैं. उन्हें आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी बीमारी हो रही है. देश के जिन इलाकों में अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है, उनमें दिल्ली भी शामिल है.
इंडियन कार्टिलेज सोसायटी और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य ने बताया कि दिल्ली के वेस्ट, नौर्थ-वेस्ट, ईस्ट, नौर्थ ईस्ट और साउथ वेस्ट जोन में इस बीमारी के मरीज ज्यादा हैं. आए दिन लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी लगातार पीने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. जोड़ों में कड़ापन आ जाता है. इसके बाद आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी समस्याएं हो जाती हैं. गंभीर स्थिति में हाथ-पैर की हड्डियां टेड़ी हो जाती हैं. जब कोई ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी लगातार पीता है तो उसे फ्लोरोसिस होने का खतरा भी होता है. जिन एरिया में पाइपलाइन की सप्लाई नहीं है, वहां बोरवेल का पानी खूब इस्तेमाल हो रहा है.
वेंकटेश्वर हास्पिटल के आर्थोपेडिक सर्जन डाक्टर आर.के. पांडेय का भी यही मानना है. उन्होंने बताया कि जो लोग लगातार बोरवेल का पानी पीते हैं, उनमें आर्थराइटिस का खतरा काफी होता है. जब खून में फ्लोराइड का लेवल बढ़ता है तो वह जाइंट को खराब करने लगता है. डाक्टर वैश्य ने कहा कि फ्लोरोसिस कई तरह के होते हैं. अस्थि फ्लोरोसिस हड्डियों पर असर करता है. यह युवा और बुजुर्ग दोनों को हो सकता है. इसमें गर्दन, कूल्हे, बांह और घुटनों के जौइंट में दर्द होता है. हड्डियों का लचीलापन खत्म हो जाता है. इसे शुरुआती दौर में पहचान पाना मुश्किल है.