World Breastfeeding Week 2024: बदलते लाइफस्टाइल और समय की कमी के कारण महिलाओं की जिंदगी में कई बदलाव आए हैं, लेकिन कहा जाता है कि जब एक महिला मां बनती है, तो उसकी दुनिया बदल जाती है. लेकिन आज के समय में कई महिलाएं अपना करियर और परिवार में बैलेंस कर चलना चाहती हैं. कुछ महिलाएं अपने करियर के कारण बढ़ती उम्र में शादी करती हैं, तो कुछ सिर्फ अपने करियर का चुनाव करती हैं. हालांकि ये उनका व्यक्तिगत फैसला है.
ब्रैस्टफीडिंग कराने से क्यों कतराती हैं महिलाएं
ये अच्छी बात है कि इन दिनों वर्किंग मदर्स की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन जौब और करियर के बीच ब्रैस्टफीडिंग कराना हर कामकाजी मां के लिए चुनौती बन गया है. ऐसे में मां बच्चे को दूध पिलाने से कतराती है. बच्चे को ब्रैस्टफीडिंग न कराने के कई कारण हैं. जैसे- बिजी लाइफस्टाइल, फीगर खराब होने की चिंता, ये चीजें मां के मन में संदह पैदा करती हैं. इसिलिए वर्किंग महिलाएं बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाना चाहती हैं. इसके बारे में सही जानकारी देने के लिए हर साल अगस्त में ब्रैस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस वीक का महत्व और उद्देश्य.
क्यों मनाया जाता है ब्रेस्टफीडिंग वीक
आज से वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक की शुरुआत हो गई है. यह वीक हर साल 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है. इस सप्ताह को मनाने का मुख्य उद्देश्य है, हर नई मां को ब्रेस्टफीडिंग के महत्व के बारे में जागरूक करना.
वर्ल्ड ब्रैस्टफीडिंग वीक के मनाने की शुरुआत सबसे पहले साल 1992 में वर्ल्ड अलायंस फार ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (WABA) ने की थी. यह एक वैश्विक नेटवर्क है जो वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन और यूनिसेफ के साथ मिलकर काम करता है. इसका मुख्य उद्देश्य ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा देना और उसे सुरक्षित और सफल बनाने के लिए हर मां को सपोर्ट करना है.
मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी होता है ब्रैस्टफीडिंग
मां का दूध नवजात शिशु के लिए संपूर्ण आहार माना जाता है. इसलिए बच्चे की अच्छी ग्रोथ के लिए ब्रैस्टफीडिंग कराने की सलाह दी जाती है. मां का दूध बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाता है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है. मां के दूध में वो सभी जरूरी विटामिन्स होते हैं, जो बच्चे की सेहत के लिए जरूरी होते हैं.
मां के लिए ब्रैस्टफीडिंग के फायदे
मां की हैल्थ के लिए भी ब्रैस्टफीडिंग सही माना जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार, ब्रैस्टफीडिंग कराने से महिलाओं में स्तन और ओवरी कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है. इसके अलावा स्तनपान कराने से मां को ये फायदे भी होते हैं-
- हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम होता है.
- कोलेस्ट्राल सामान्य हो सकता है.
- डायबिटीज टाइप 2 का जोखिम टल सकता है.
- स्तनपान कराने से मां वजन कंट्रोल रहता है.
- ब्रैस्टफीडिंग न कराने से बढ़ सकता है ये खतरा– जो महिलाएं अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती हैं, उनमें ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है. दरअसल स्तन कोशिकाओं की नियमित सफाई नहीं हो पाती.ऐसे में कैंसर कोशिकाओं के विकास का खतरा बढ़ सकता है.
ब्रैस्टफीडिंग से जुड़े हैं ये मिथक
बच्चे की फीड यानी स्तनपान से जुड़े कई मिथ हैं, जिन पर महिलाएं भरोसा करती हैं. स्तनों के ढीले होने से लेकर खानपान की चीजों तक…
मिथक: ब्रैस्टफीडिंग कराने से स्तन ढीला होता है
सचाई– अक्सर प्रैग्नेंसी के दौरान स्तन का वजन दोगुना हो जाता है. इससे फर्क नहीं पड़ता है कि आप बैस्टफीडिंग करवा रही हैं या नहीं. बढ़ती उम्र, बीएमआई, ब्रा का आकार गलत होने के कारण स्तन के ढीले होने की स्थिति पैदा हो सकती है.
मिथक : ब्रैस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को हल्का खाना चाहिए
सचाई : जब आप बच्चे को दूध पिलाने जाती है, तो उस समय तक आपका खाना पच गया होता है, तो ये जरूरी नहीं है आप बेस्वाद खाना ही खाएं. लेकिन आप खुद को हाइड्रेटेड रखें. इसके लिए पानी, जूस पीती रहें.