डायबिटीज एक बार हो जाए तो जल्दी  ठीक नहीं होती और लोगों के जीवन को कई तरह से प्रभावित करती है. भारत में आज करीब 7 करोड़ लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं. डायबिटीज की गंभीरता इस से होने वाली जटिलताओं में है. इस की वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं, मसलन  किडनी प्रोब्लम्स, आंखों में ठीक न होने वाला नुकसान शामिल है. इसके अलावा, नसों के प्रभावित होने से पैरों में अल्सर होता है. इस से कई बार पैर काटने की नौबत आ जाती है और मधुमेह के सबसे आम प्रभाव में हृदय की बीमारी तो है ही.

डायबिटीज से महिलाएं ज्यादा मुश्किल तरीके से प्रभावित होती हैं. आमतौर पर महिलाएं रजोनिवृत्ति से पहले हृदय की बीमारी से सुरक्षित रहती हैं. हालांकि, जिन्हें डायबिटीज हो उन्हें यह सुरक्षा नहीं मिलती है. इसलिए पुरुषों में अगर डायबिटीज से हृदय की बीमारी को जोखिम तीन गुना बढ़ जाता है तो महिलाओं में यह 4-5 गुना बढ़ जाता है. यही नहीं, किसी महिला को अचानक हृदय से संबंधित गंभीर स्थिति का पता चले और उसे हार्ट अटैक का संकेत मिले तो यह पुरुषों के मुकाबले ज्यादा घातक है. इस जानकारी के बावजूद अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं को कार्डियो प्रोटेक्टिव दवाइयां जैसे स्टैटिन पुरुषों के मुकाबले बहुत कम दी जाती हैं.

एक महिला के लिए गर्भधारण जीवन की सब से महत्वपूर्ण घटनाओं में है. इस समय एक ऐसी महिला को भी डायबिटीज हो सकता है जिसे पहले से डायबिटीज नहीं रहा हो – यह एक ऐसी स्थिति है जिसे जेसटेशनल (अस्थायी) डायबिटीज कहा जाता है. गर्भाधान के 30-40% मामले इससे प्रभावित होते हैं. अगर ठीक से प्रबंध नहीं किया जाए तो जेसटेशनल डायबिटीज की शिकार मां के बच्चे को डायबिटीज होने का जोखिम रहता है.

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