लेखिका- पुनीता सिंह
ठं ड की दस्तक शुरू होते ही बाजार में ऊनी कपड़ों से दुकानें भर जाती हैं. ग्राहकों की भीड़ भी देखी जा सकती है, परंतु इस के बावजूद हाथ से बुने स्वैटरों/परिधानों के आकर्षण में कतई कमी देखने को नहीं मिलती.
बुनाई की कला में माहिर स्त्रियों को अपने हाथों से बुने परिधान ही लुभाते हैं.
आखिर कुछ तो होगा इन में जो इतने महंगे और वैराइटी वाले ऊनी कपड़ों के साथ हमेंघर की छतों, बालकनियों में बैठ कर बुने स्वैटर ज्यादा गरमाहट देते प्रतीत होते हैं. जाहिर है हाथ से अपनों के लिए एकएक फंदा कर के प्यार और मेहनत से बुना परिधान अलग ही गरमाहट देता है.
सही निटिंग यार्न का चुनाव
बुनाई की बात पर विचार करते ही सब से पहले उत्तम क्वालिटी वूलन का प्रसंग उठता है, जो बेहद जरूरी है. निटिंग यार्न के बढि़या न होने पर परिधान तैयार होने पर हमें काफी खराब रिजल्ट मिल सकते हैं, जो हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर सकता है. जैसे ऊन में रंग फेड होना, बुने स्वैटर परिधान पर रोएं निकल आना, आकार बिगड़ जाना आदि.
अत: हमें निटिंग यार्न का चुनाव बहुत सावधानी से करना चाहिए. ऊन हमेशा ब्रैंडेड और भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें. नकली लेबल लगे लोकल ऊन भी ब्रैंडेड ऊन की तरह बाजार में उपलब्ध हैं.
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आजकल वर्धमान, ओसवाल और गंगा की निटिंग यार्न बहुत सुंदर रंगों और वैरायटी में मिल जाती हैं. जब आप इतने परिश्रम से एकएक फंदा कर के अपनी मनपसंद डिजाइन का स्वैटर बुनती हैं, तो ऊन की क्वालिटी से सम झौता न करें.
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