रोहन पढ़ाई में बहुत ही होशियार है क्लास में हमेशा प्रथम आता है बोलने में भी बहुत अच्छा है लेकिन उसके व्यवहार को लेकर सीमा (रोहन की मां )परेशान रहती है वह बताती है कि रोहन ना तो किसी बच्चे के साथ अच्छे से खेल पाता है थोड़ी देर में ही उसकी अपने दोस्तों से लड़ाई होने लगती है.
हर वक्त मुझसे शिकायते लगाता रहता है और ना ही किसी के साथ अपनी कोई चीज साझा करता है उसके इस व्यवहार का कसूरवार वह खुद को मानती है क्योंकि रोहन उसकी इकलौती संतान हैं जिसे उसने बड़े ही लाड़ प्यार से पाला है कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी लेकिन वह उसे शेयरिंग, केयरिंग जैसी अच्छी आदत नहीं सीखा पाई रोहन के इस बर्ताव का कारण है. अकेलेपन में परवरिश होना.
सीमा चाहती थी कि वह एक ही बच्चे को पूरा समय दें जिस कारण उसने दूसरे बच्चे का प्लान ही नहीं किया लेकिन आज जब वह खुद अपने बचपन के बारे में सोचती है तो उसे अपने बच्चे के लिए बुरा भी महसूस होता हैं क्योंकि यदि खुद उसके भाई-बहन न होते तो इस दुनिया में वह खुद को कितना अकेला महसूस करती और शायद उसका व्यवहार भी रोहन जैसा ही होता. यह बात समय रहते समझने की है कि दूसरा बच्चा आपके जीवन में मुश्किलें नहीं, बल्कि खुशहाली लेकर आता है. इस लेख में हम जानेगे कि दूसरा बच्चा क्यों जरूरी है.
आज के समय में यह ट्रेंड सा बन गया है कि अधिकतर कपल यही चाहते हैं कि उनको सिर्फ एक ही संतान हो जिसकी वह अच्छे से परवरिश कर सकें इसका कारण वह बढ़ती महंगाई को भी मानते हैं लेकिन सोचने वाली बात हैं कि हमें अपनी इस तरह की सोच से अपने बच्चे को अकेलेपन की आदत डाल रहें हैं क्योंकि आज के समय में तो संयुक्त परिवार भी नहीं रह गए हैं जिससे की बच्चा चाचा, ताऊ के बच्चों के साथ मिलकर रहना सीख जाए बल्कि अब तो एकल परिवार का चलन बन गया है और उसमे भी एक ही संतान होती है जिसका असर उस बच्चे के व्यवहार में साफ झलकता है.
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