लंबे समय तक कोविड-19 की दहशत की वजह से सबकुछ बंद रहा. लोगों की रोजीरोटी पर ताला लग गया. गरीबों के लिए खाने के लाले पड़ गए. बहुतों की नौकरी छूट गई तो कितनों ने अपनों को खोया. जिंदगी जैसे थम सी गई थी. पर फिर समय के साथ लोग रोजगार के लिए घर से निकलने लगे.
इधर कोविड की भयावहता कुछ कम हुई तो सरकार ने भी धीरेधीरे कर लौकडाउन हटा दिया. जिंदगी पुरानी दिनचर्या पर लौट आई. लोगों के दिलों से कोविड का डर चला गया और वे पहले की तरह बेफिक्र घूमने और खानेपीने लगे.
मगर क्या यह सही है? क्या सच में कोविड-19 का संकट चला गया? बिलकुल नहीं. ऐसा सोचना भी बेमानी है वरना कई देशों में पहले की तरह फिर से लौकडाउन न लगाना पड़ता.
आम जनता के लिए यह बात समझनी जरूरी है कि कोविड का संकट खत्म नहीं हुआ है. यह नएनए वैरिएंट्स के साथ अभी भी हमें अपने आगोश में लेने को तत्पर है. हाल ही में इस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन का पता चला है. इसलिए हमें अभी भी हर कदम बहुत फूंकफूंक कर चलना चाहिए. जरूरी काम हो तो ही निकलना सही है.
कोविड नियमों की अनदेखी पड़ेगी भारी
लोगों को मौका मिलना चाहिए. कभी त्योहारी सीजन तो कभी रिश्तेदारियां निभाने की जुगत और कभी जरूरी काम का बहाना, लोग कोरोना नियमों के प्रति लापरवाही करते नजर आते हैं, जबकि ये सावधानियां उन के खुद के भले के लिए जरूरी हैं. जिंदगी में स्वस्थ बने रहने से जरूरी कुछ नहीं होता.
मगर लोग कई बार अपनी इसी सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं. कभी जान कर और कभी अनजाने में, कभी अज्ञानता में और कभी विवशता में वे ऐसा करते जाते हैं और बाद में पछताते हैं.
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