खूबसूरत आशा जब एक टीवी औडिशन के लिए गई तो उस को उम्मीद थी कि उसे वह चरित्र अवश्य मिलेगा. उस का औडिशन भी अच्छा हुआ लेकिन उसे चांस नहीं मिला. उसे सम?ा में नहीं आ रहा था कि उसे मौका क्यों नहीं मिला. बाद में पता चला कि उस का लुक उस पात्र के लिए सही नहीं था, इसलिए उसे रिजैक्ट किया गया.
आशा मन ही मन दुखी हुई. उस ने ठान लिया कि अगर उसे एक्टिंग की फील्ड में काम करना है तो खुद पर काम करना पड़ेगा. वह स्टाइलिस्ट से मिली और खुद पर वर्क किया. उसे अगले औडिशन में एक ही बार में चांस मिला और आज वह सफल है.
- प्रैजेंटेबल होना जरूरी
एक कहावत है, ‘पहले दर्शनधारी, फिर गुण विचारी.’ यानी पहले आप का प्रैजेंटेबल होना जरूरी है, फिर बाद में टैलेंट पर विचार किया जाता है. यह सही है कि टैलेंट की कद्र हमेशा ही होती रही है. सालों पहले हो या आज, एक बात तय है कि केवल प्रतिभा से किसी का सफल होना संभव नहीं होता. आप को ग्लैमरस और प्रैजेंटेबल होना जरूरी होता है. आज हर क्षेत्र में कमोबेश ऐसी ही स्थिति है, फिर चाहे वह स्कूल, कालेज, औफिस हो या ऐक्ंिटग या घर पर रहने वाले, हर जगह इस का महत्त्व है.
इस बारे में मुंबई की स्टाइलिस्ट और फैशन डिजाइनर मेघा पित्ती, जो पिछले 10 सालों से स्टाइलिंग का काम कर रही हैं, कहती हैं, ‘‘स्कूल में छोटेछोटे बच्चे भी टीचर के ग्लैमरस होने पर उन के पास बैठना पसंद करते हैं और यह ह्यूमन नेचर है कि प्रैजेंटेबल इंसान सब को आकर्षित कर सकते हैं. मेकअप के साथ सही हेयर स्टाइल, ड्रैसअप, शूज, बैग्स आदि सब का प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व पर पड़ता है.’’
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