कोविड महामारी ने फैशन की दुनिया को बदलकर रख दिया है. लॉकडाउन की वजह से लोग घर में कैद है, इसलिए कही घूमने जाना,फिल्में देखना, पार्टी में शामिल होना,शोपिंग करना आदि सब गुजरे ज़माने की बात हो चुकी है. डिज़ाइनर भी आज यही समझने लगे है कि उन्हें इस इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए कुछ अलग कदम उठाने की जरुरत है, जो आज ज़माने की जरुरत है. फैशन भी बहुत हद तक तकनीक पर आधारित हो चुका है और हाई ट्रेंड फैशन का चलन अब नहीं रहा, लेकिन कोविड की दूसरी लहर ने इसे और अधिक कमजोर बना दिया है. आज लोग फैशन से अधिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने लगे है. बड़े डिजाइनर्स को इसका अधिक प्रभाव भले ही कम पड़ा हो, लेकिन नए डिजाइनर्स इससे काफी प्रभावित हुए है. वर्क फ्रॉम होने की वजह से लोग आरामदायक वस्त्रों पर अधिक ध्यान देने लगे है.
सस्टेनेबल फैशन की है मांग
इस बारें में लेवल दासगुप्ताके डिज़ाइनर राहुल दासगुप्ताकहते है कि कोविड की वजह से पिछले साल से काफी बदलाव फैशन में करना पड़ रहा है. अभी सस्टेनेबल फैशन, जो नीड बेस्ड यानि जरुरत के अनुसार ही कपडे ख़रीदे जा रहे है. पहले लोग अपनी शौक से कभी भी कपडे खरीदने जाते थे,लेकिन वैसी भावना अब लोगों में नहीं रही. मैं मेंस वेअर पर अधिक ध्यान देता ., जिसमें कुर्ता पायजामा, जैकेट और कुछ वेस्टर्न पैटर्न के कपडे होते थे, जिसे मैंने अब थोडा इंडियन लुक देकर वेडिंग कलेक्शन को अधिक महत्व दे रहा ., ताकि मेरा ब्रांड सस्टेनेबल रहे. कोविड की वजह से सभी ब्रांड के कपड़ों की बिक्री बहुत कम हो चुकी है. अभी लोग घर से काम कर रहे है,इसलिए डिजाईन के अलावा लोग कम्फर्ट पर अधिक ध्यान देने लगे है,क्योंकि किसी को अभी बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ती, क्योंकि सब बंद है. हाई फैशन अब कोई नहीं खोजता. आज एथ्लेजर कपड़ों की मांग बढ़ी है, जिसे घर पर या कहीं पहनकर भी जाया जा सकता है. सभी ब्रांड उस पर अधिक फोकस कर रहे है.इसके अलावा कोविड काल में लोग फिटनेस पर अधिक जोर दे रहे है, जब भी किसी को जिम जाने या वर्कआउट करने का मौका मिलता है. लोग फिटनेस को बनाये रखने के लिए वहां चले जाते है. इसलिए वे वैसी ड्रेसेस को अधिक महत्व देने लगे है, जो घर और बाहर पहना जा सकें. इसलिए जो भी कपडा स्किन के लिए आरामदायक हो उसे ही मैं अपने पोशाक में प्रयोग करता .