बीते सालों में लिबास हो या शृंगार, हर जगह फैशन ने अपना प्रभाव छोड़ा और फैशन के नए ट्रेंड से गहनों का बाजार भी अछूता नहीं रह पाया है. इसलिए ज्वेलरी उद्योग में भी अब आउटफिट की तरह ही आए दिन नएनए प्रयोग होने लगे हैं और उस पर अंतर्राष्ट्रीय टें्रड की छाप साफ दिखाई देने लगी है. इन दिनों डिजाइनर ज्वेलरी का क्रेज महिलाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है इसलिए ज्वेलरी उद्योग में भी अब आउटफिट की तरह ही आए दिन नएनए प्रयोग होने लगे हैं और उस पर अंतर्राष्ट्रीय टें्रड की छाप साफ दिखाई देने लगी है.
सौंदर्य और आर्थिक सुरक्षा
ब्यूटीशियन शहनाज हुसैन मानती हैं, ‘‘आभूषण सिर्फ सौंदर्य के प्रतीक ही नहीं होते बल्कि आर्थिक सुरक्षा भी देते हैं. भारतीय स्त्रियों के लिए ये बहुत अहमियत रखते हैं. मैं तो यही मानती हूं कि भारतीय स्त्रियां सोने को धन संचय के लिहाज से खरीदती हैं. एक मकसद सौंदर्य को बढ़ाना भी होता है. सुरक्षा की दृष्टि से भले ही स्त्रियां आर्टीफिशियल ज्वेलरी पहनें लेकिन इनवेस्टमेंट की दृष्टि से वे सोने के ही गहनों को प्राथमिकता देती हैं.
‘‘घरानों की बात करें तो पहले अलगअलग घरानों की ज्वेलरी भी अलगअलग होती थी. बात चाहे निजाम के हीरों की हो या फिर जयपुर घरानों के शुद्ध सोने के बने संदूक और रानी हार की, सभी राजघरानों का एक अंदाज होता है, जो एक टें्रड सेट करते हैं, जिस के अनुसार आज भी डिजाइनर अपनी ज्वेलरी को डिजाइन कर सकते हैं.’’ आभूषणों के प्रति स्त्रियों की दीवानगी सदा से रही है, यह जानते हुए गहनों की डिजाइनों में नएपन की चाहत डिजाइनरों में भी सदा से रही है. इस संबंध में डिजाइनर शाहीन का कहना है, ‘‘आज की महिलाएं अपने जीवन में एक तरह का रोमांच चाहती हैं. यही वजह है कि ज्वेलरी टें्रड में बदलाव आया है. ज्वेलरी को अगर आउटफिट के साथ सही स्थान पर पहना जाए तो व्यक्तित्व में बदलाव आ सकता है. गोल्ड, सिल्वर और बीड्स के आभूषणों के साथसाथ स्टोन और सिल्वर के आभूषण भी स्त्रियों द्वारा पसंद किए जाने के पीछे उन की यही सोच है.’’