पिछले 30 सालों में सूचना क्रांति की लहर दौड़ी है. पत्रपत्रिकाएं घरघर पहुंच गई हैं. कंप्यूटरों, मोबाइलों, टेलीविजनों ने हल्ला बोल दिया है. अगले 30 सालों में क्या होगा, इस का अंदाजा लगाना भी आसान नहीं है, क्योंकि आज भी लोगों के हाथों में किताब, डायरी, पेन नजर नहीं आते. उन की जगह ले ली है मोबाइल, आईपौड और लैपटौप ने. बाहर ही नहीं, जगह बचाने के चक्कर में घर में भी लोग अब बुकरैक या बुकशेल्फ नहीं रखना चाहते. बुकशेल्फ की जगह कंप्यूटर ने ले ली है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे हाथ से किताब, डायरी और पेन का रिश्ता किस्सेकहानियों तक ही सीमित रह जाएगा.

पाठकों की बात तो एक तरफ, नई पीढ़ी के लेखक भी कंप्यूटर पर किताबें लिखने लगे हैं. अधिकतर लेखक इस बात को मानते हैं कि कंप्यूटर पर किताब लिखना अधिक आसान एवं सुविधाजनक है, क्योंकि उसे संपादित करना आसान होता है. किसी भी रचना को लिखने के बाद सजानासंवारना होता है यानी संपादित करना होता है. काटछांट की इस प्रक्रिया में हस्तलिखित पांडुलिपि खराब हो जाती थी. कंप्यूटर पर किताब पढ़ना नई पीढ़ी का शगल है ही, अब बहुत से बुजुर्ग एवं मध्य आयुवर्ग के लोग भी ई-बुक्स के साथ जुड़ते जा रहे हैं. जब भी आप को किसी साहित्यिक या अन्य किसी भी प्रकार की किताब की जरूरत महसूस हो तो उसे देखनेपरखने और खरीदने के लिए दुकानों पर भटकने की जरूरत नहीं है. आज अंगरेजी की अधिकतर किताबें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. आप इन्हें डाउनलोड कर अपने पास सेव कर सकते हैं और जब भी समय मिले, पढ़ सकते हैं. 

इंटरनेट के माध्यम से तुरंत पता लग जाता है, किताबों के बाजार में कब, क्या नया घटित हो रहा है. किसी भी किताब के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए अब आप को अखबारों और पत्रिकाओं में पुस्तक समीक्षा नामक कालम खंगालने की भी जरूरत नहीं है. किसी भी पुस्तक की समीक्षा के चुनिंदा अंश भी आप को नेट पर पढ़ने को मिल जाते हैं. इतना ही नहीं, आप पूरी पुस्तक भी डाउनलोड कर सकते हैं और अगर आप छपी हुई पुस्तक को पढ़ कर ही उस का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो पुस्तक के कुछ चुनिंदा अंश पढ़ कर उसे घर पर मंगवा सकते हैं. कुछ प्रकाशकों की अपनी वेबसाइटें भी हैं, जिन पर वे अपनी पुस्तकों को क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बेच रहे हैं.

जी हां, औनलाइन किताबें खरीदना बहुत ही आसान है. इस के लिए आप को दुकान में जाने की जरूरत नहीं है. आप जो किताब खरीदना चाहती हैं, उस का चयन कीजिए और ‘ऐड टू कार्ट’ पर क्लिक कर के अपनी शौपिंग कार्ट में रख लीजिए. इन पुस्तकों का भुगतान आप क्रेडिट कार्ड से भी कर सकती हैं या फिर वी.पी.पी. से घर मंगवा कर उसी समय भुगतान कर सकती हैं. हर पुस्तक नेट पर मुफ्त उपलब्ध नहीं है. विदेशी प्रकाशकों की ई पुस्तकें इंटरनेट पर उपलब्ध तो हैं लेकिन इन्हें डाउनलोड करने के लिए आप को कुछ शुल्क अदा करना होता है. यह शुल्क क्रेडिट कार्ड द्वारा अदा किया जा सकता है. अगर आप की किताबों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने में दिलचस्पी है तो आप कुछ ई-बुक्स साइट्स पर ई मेल अलर्ट के लिए अपना नाम रजिस्टर कर सकती हैं. इस तरह से जब भी कोई नई किताब रिलीज होती है तो उस की सूचना ई मेल के माध्यम से आप के पास तुरंत पहुंच जाएगी. साइटों पर जा कर आप अपनी मनपसंद किताब को डाउनलोड कर सकती हैं या फिर खरीद सकती हैं.

पुस्तक को डाउनलोड करते समय ध्यान रखें कि आप उसे पी.डी.एफ. फोरमेट में डाउनलोड करें ताकि पढ़ते समय फोंट आदि की समस्या से न जूझना पड़े. ई-बुक्स साइट्स पर आप को किताब के लेखक, प्रकाशक के साथसाथ किताब के बारे में विस्तृत जानकारी जैसे, पुस्तक के कुछ चुनिंदा अंश व पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित समीक्षाएं आदि भी मिल जाएंगी. वेब पर बहुत सी साइट्स ऐसी हैं, जहां आप को फ्री ई-बुक्स डाउनलोड की सुविधा उपलब्ध है.

अंगरेजी ई-बुक्स की परंपरा तो बहुत पुरानी है. अब हिंदी में भी ई-बुक्स और अन्य पठनीय सामग्री कई वेबसाइटों पर उपलब्ध है. इसी तरह की एक वेबसाइट है.

यह हिंदी की प्रसिद्ध रचनाओं की साइट है. इस साइट पर आप को अपनी मनपसंद पठनीय सामग्री मिल जाएगी. इस साइट पर प्रेमचंद जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों की कहानियां और कुछ प्रसिद्ध विदेशी लेखकों की कहानियों का हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध है. इन्हें आप अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर पढ़ सकती हैं. इस के अतिरिक्त कुछ किताबें जैसे बंकिमचंद्र चटर्जी का ‘आनंदमठ’, रवींद्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’, प्रेमचंद का ‘गोदान’, हरिवंशराय बच्चन की ‘मधुशाला’ जैसी पुस्तकें भी फ्री डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं. हिंदी में औनलाइन बुक्स, यानी ई-बुक्स पर तेजी से काम चल रहा है. बहुत सी साइट्स अभी निर्माणाधीन हैं. अगले सालों में तो बहुत अंतर आएगा और हर घर का नक्शा बदल सकता है. जीवनशैली में भी परिवर्तन आ सकते हैं.

ई-बुक्स के फायदे

 ई-बुक्स आप के कंप्यूटर पर ही सेव हो जाती हैं, अतिरिक्त स्थान नहीं घेरतीं.

आप अपने कंप्यूटर पर एक नहीं, असंख्य पुस्तकें डाउनलोड कर रख सकते हैं.

अगर आप कुछ दिनों के लिए घर से बाहर ऐसी जगह जा रही हैं जहां कंप्यूटर तो है लेकिन इंटरनेट नहीं, तो आप पेनड्राइव या सी.डी. में बहुत सी किताबें अपने साथ ले जा सकती हैं.

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