फैशन तकनीक में विज्ञान के बढ़ते दखल के बारे में पहले कभी किसी ने शायद सोचा भी न होगा कि एक दिन ये दोनों एकदूसरे के पर्याय बन जाएंगे, क्योंकि फैशन की दुनिया तो अपनेआप में एक अलग दुनिया है, जहां कल्पना और रचनात्मकता मिल कर एक नया सृजन करते हैं. ऐसे में पहले लोगों का यही सोचना था कि यहां तकनीक का क्या काम? लेकिन अब जमाना तकनीक का ही है. जीवन का हर क्षण, हर पहलू किसी न किसी रूप में तकनीक के ज्ञान से जुड़ा है. दिनचर्या से ले कर रोजमर्रा की जरूरतें सब कुछ तकनीक पर ही आधारित हो चुका है. ऐसे में कोई फैशन तकनीक से कैसे अलग रह सकता है.
20 वीं सदी में फैशन इंडस्ट्री में फोटोग्राफी के रास्ते जब विज्ञान ने अपने कदम बढ़ाए तो फैशन के दीवानों ने विज्ञान द्वारा सुझाए इस विकल्प को हाथोंहाथ लिया, जिस से उन का व्यवसाय और प्रभावकारी बना. इस नए विकल्प के माध्यम से डिजाइनरों के फोटो मैगजीन व न्यूजपेपर में छप कर कस्टमर के घरों तक जा पहुंचे.
आज कंप्यूटर डिजाइनिंग का फैशन इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. फैशन डिजाइनिंग से संबंधित ज्यादातर काम कंप्यूटर से होते हैं. इन में शामिल हैं स्क्रीन पर रेखांकन, ड्राइंग, पैटर्न, टैक्सचर, रंग संयोजन तैयार करना, तसवीरों व नमूनों की स्कैनिंग, तसवीरों में हेरफेर, शरीर रचना के मुताबिक कपड़ों को ढालना आदि. इस के अलावा फैशन उद्योग में मुख्य काम कंप्यूटर से ही होते हैं. जैसे पैटर्न तैयार करना, ग्रेडिंग यानी पैटर्न को अलगअलग आकारों में ढालना, मार्किंग, पैटर्न के मुताबिक कटाई, वस्त्र निर्माण, वस्त्र का असली उत्पादन, डिजाइन का हाथ से चित्रण, लागत और बिक्री संबंधी आंकड़े तैयार करना.
साई फाई इनस्पायर्ड क्लोदिंग
फैशन डिजाइनरों को अंतरिक्ष में भी फैशन की संभावनाएं दिखने लगी हैं. लिहाजा साई फाई (साइंस फिक्शन) इनस्पायर्ड पोशाकों और स्पेस सूट डिजाइनरों की कल्पना के साथसाथ सब के सामने आने लगे हैं. इन का अनुमान हौलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाए वस्त्रों से लग जाता है. ये सोलर पावर आउटफिट, रंग बदलने के साथ पहनने वाले के साथ संवाद भी कर सकते हैं.
साइबर ट्रे विंग्स नामक एक सूट ड्रेस में कार्बन फाइबर और एल्यूमिनियम से एक डिजाइन बनाई गई है, जिस में सर्दीगरमी के लिए पावर देने की क्षमता है. इस पोशाक के लिए बैटरी को बाहरी पावर की जरूरत नहीं है. इस पोशाक में चिडि़यों की तरह पंख हैं. खुल कर 7 बार फड़फड़ाने पर वे 5 से 10 मिनट के लिए चार्ज हो जाते हैं. चार्ज होने पर यह पोशाक चमकती है और हीटिंग व कूलिंग दोनों करती है. भविष्य की सूट ड्रेस यूरोपियन फैशन मेकर लुमी टाप सौफिया द्वारा बनाई गई है, जो बैटरियों से चलती है. ऐसे फैशन के दीवाने, जो अपने कपड़ों को रोशनी से चमकाना चाहते हों, उन के लिए यह करिश्माई ड्रेस बेहतरीन विकल्प है, जो लाल, नीले, हरे, पीले रंगों में चमक कर पहनने वाले को पार्टी में सब की निगाहों का निशाना बन सकती है.
पर्यावरण प्रेमी पावर जनेरेटिंग ड्रेसेस में सोलर एनर्जी के बलबूते पावर जनरेट की जाएगी. भविष्य में इन कपड़ों का फायदा 2 तरह से उठाया जा सकेगा. एक तो तन ढकने में, दूसरे, चलते हुए, पार्क में टहलते हुए, मोबाइल या आईपौड जैसे गैजेट्स को चार्ज करने में. किसी बीच पर अगर आप के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई हो तो कोई बात नहीं, आप अपने सामने धूप स्नान का मजा लेते हुए सोलर बिकनी पहने खूबसूरत लड़की से मोबाइल चार्ज करने की रिक्वेस्ट कर सकेंगे. अमांडा पार्कर नामक डिजाइनर ने एक ऐसी पोशाक ईजाद की है, जो पहनने वालों के हाथपैर हिलाने पर पावर जनरेट कर सकती है. प्लेजोइलेक्ट्रिक मैटेरियल से बनी यह पोशाक कुहनी और कूल्हों के जोड़ों के हिलने से जब बिजली बनाएगी तो उसे स्टोर भी किया जा सकेगा, ताकि जरूरत के वक्त उस का इस्तेमाल किया जा सके.
हाइटेक फैशन का एक और फंडा है, सर्किट बोर्ड डे्रसेस. इन में कंप्यूटर के सर्किट बोर्ड होते हैं जिन्हें आसानी से पहन कर अपना पूरा डाटा उन पर लाया ले जाया सकेगा. सर्किट बोर्ड ड्रेस की ही तरह एक दूसरी ड्रेस बनाई गई है फ्लैक्सिबल डिस्प्ले स्क्रीन के साथ. डिजाइनरों के प्रयत्न से अब ऐसी डे्रस उपलब्ध है जिस में ग्राहक अपने कपड़ों के साथ ऐसी स्क्रीन ले कर चल सकता है, जिस पर वह जो चाहे लिख कर किसी विज्ञापन का माध्यम भी बन सकता है.
थर्मोक्रोमेटिक क्लोदिंग
आने वाले समय में पोशाकों में प्रयुक्त किए जाने वाले थ्रेड पहनने वाले के मूड के हिसाब से अपने रंग बदलें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. जिस प्रकार आम जिंदगी में सूरज की रोशनी से प्रभावित हो कर धूप और छांव में अपना रंग क्रमश: गहरा और हलका करने वाले लाइट सेंसेटिव आईग्लासों का लोग अभी भी उपयोग कर रहे हैं, उसी तरह इन्हीं लाइट सेंसेटिव आईग्लासों की तर्ज पर ऐसे कपड़े ईजाद करने की ओर कदम बढ़ाए जा चुके हैं.
इलेक्ट्रोमेटिक पोलीमर नामक मैटेरियल से बनने वाले ये कपड़े रोशनी को एब्जार्ब करने की क्षमता रखने वाले होंगे. पोलीमर और आर्गेनिक केमिस्ट्री के प्रोफेसर जौर्जी स्टोजिंग का कहना है कि नायलोन जैसे पोलीमर बहुत पतले होते हैं लेकिन इलेक्ट्रोक्रोमेटिक पोलीमर को पतला करने के लिए उन्हें केमिकल रिएक्शन से गुजरना पड़ता है. स्टोजिंग अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ऐसे फाइबर विकसित कर चुके हैं, जो नारंगी से नीले और लाल से नीले रंग में बदल जाते हैं. इस काम के लिए एक छोटी सी बैटरी द्वारा इलेक्ट्रिक करंट दे कर भी कपड़ों के रंग बदले जाते हैं.
विज्ञान की सहायता लेते हुए डिजाइनर ऐसे वस्त्र भी बनाने में कामयाब हो चुके हैं,जो शरीर का तापमान तो नियंत्रित कर ही सकते हैं साथ ही जीवाणुओं को भी मार सकते हैं. शायद उन्हें धोने की ही जरूरत न हो, क्योंकि इन में सेल्फ क्लीनिंग फैसिलिटी हो सकती है.
स्मार्ट इंटरेक्टिव ड्रेसेस
फैशन और तकनीक का मिलाजुला सटीक स्वरूप स्मार्ट इंटरेक्टिव ड्रेसेस हैं. ये ड्रेसेस ऐसे मैटेरियल से बनाई गई हैं, जो न सिर्फ अपने आसपास के वातावरण से बल्कि अपने पहनने वाले की प्रतिक्रिया से स्वयं में बदलाव ले आती हैं. उन्हें आर्कटिक या सहारा मरुस्थल तक में पहना जा सकता है. ये क्लाइमेटिक कंडीशंस को झेल सकेंगी. ऐसे बायो सूट नैनोटेक्नोलोजी की सहायता से बनाए जा रहे हैं. अनब्रेकेबल, वाशेबल और स्ट्रेचेबल होने के कारण इन्हें मोटापतला कोई भी पहन सकता है. बहरहाल, फैशन तो नित बदलता रहा है, लिहाजा इस के साथ हाइटेक फैशनेबल कपड़ों की डिजाइनें भी बदलेंगी.
यह विज्ञापन का ही कमाल है कि अब तो अपने कपड़ों की डिजाइनिंग के लिए कस्टमर घर बैठे ही डिजाइनर से संपर्क कर सकता है. वीडियो कान्फरेंसिंग के जरिए ही वह तैयार की गई नई डिजाइन देख कर अपने लिए पसंद कर सकता है. इस में स्केच तैयार करने, परिधान की डिजाइन बनाने और उस की फिटिंग जैसे सारे काम वेबकैम की सहायता से टीवी स्क्रीन पर हो सकते हैं, फिर चाहे डिजाइनिंग हो, फैब्रिक हो, टेक्सचर हो, सजावट हो या प्रिंट आप को जो चाहिए सिर्फ बोल कर बता सकते हैं. इस तकनीक का सब से बड़ा फायदा डिजाइनरों को हुआ है, क्योंकि ये दूसरे शहर या देश में बैठे क्लाइंट की जरूरतों को पूरी कर देते हैं. अगर किसी क्लाइंट को एक परिधान फिट नहीं बैठता है तो डिजाइनर उसे नए सिरे से तैयार कर देता है. इस से डिजाइनर का काफी समय बच जाता है.