1960-70 के दशक की फ्रिल्स आज फैशन बनी हुई हैं. ब्लाउज, साड़ी स्कर्ट और फ्रॉक से लेकर जैकेट और स्कर्ट तक में फ्रिल्स छाया हुआ है. सामान्य सी ड्रेस को भी आकर्षक और स्टाइलिश लुक दे देतीं हैं फ्रिल्स. फ्रिल युक्त कपड़े आरामदायक होने के साथ साथ ट्रेंडी भी लगते हैं. यूं तो परिधानों में भांति भांति की फ्रिल्स लगाई जातीं हैं परन्तु मुख्य फ्रिल निम्न होतीं हैं-
ऑरेव फ्रिल-कुर्ते, टॉप, गाउन और ब्लाउज की आस्तीन में इस प्रकार की फ्रिल बनाई जाती है. यद्यपि सामान्य फ्रिल की अपेक्षा इसमें कपड़ा अधिक लगता है परन्तु यह बनने पर सुंदर बहुत लगती है.
सादा फ्रिल-कपड़े की डबल या सिंगल पट्टी पर चुन्नटें डालकर बनाई जाने वाली यह फ्रिल स्कर्ट, और फ्रॉक आदि पर खूब फबती है. इससे पतली और चौड़ी दोनों प्रकार की फ्रिल बनाई जा सकती है.
लेयर्ड फ्रिल-एक फ्रिल के 2-3 इंच ऊपर से ही दूसरी फ्रिल लगाए जाने के कारण यह लेयर्ड फ्रिल कहलाती है. अधिक घेर वाले परिधान के लिए ऑरेव फ्रिल की और कम घेर के लिए सादा फ्रिल की लेयर्स बनाई जाती है. जितनी अधिक लेयर्स उतना अधिक परिधान आकर्षक लगता है.
वाटरफॉल फ्रिल्स-इस प्रकार की फ्रिल आमतौर पर ऑफशोल्डर ड्रेसेज में बनाई जाती है. इसमें सिंगल अथवा डबल लेयर में नेकलाइन के चारों ओर टॉप, गाउन आदि के ऊपरी हिस्से और ब्लाउज में फ्रिल बनाई जाती है. इसमें फ्रिल बनाने के लिए सिलाई के स्थान पर इलास्टिक का प्रयोग किया जाता है.
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ध्यान रखने योग्य बातें
-फ्रिल बनाने के लिए कपड़ा सदैव अच्छी क्वालिटी और पक्के रंग का लें अन्यथा यह धुलने पर आपकी पूरी ड्रेस को ही खराब कर देगा.