किसी परिवार में किसी नवयुवक या नवयुवती का रिश्ता तय हो जाने पर सभी अपने वस्त्रों को ले कर परेशान दिखाई देते हैं. सभी ऐसे वस्त्र पहनना चाहते हैं कि सभी उन के वस्त्रों की प्रशंसा करें. वस्त्रों के चयन को ले कर किसी नवयुवती का सब से ज्यादा उल?ान में होना स्वाभाविक है क्योंकि उस विवाह समारोह में दुलहन बनी नवयुवती ही मुख्य नायिका होती है.
नवयुवती सब से सुंदर व आकर्षक दिखने के लिए कितने ही सीरियल देखती है, पत्रिकाओं के पन्ने पलटती है. उन में दुलहन बनी युवतियों को देखती है. यही नहीं, विभिन्न मौल्स में जा कर ब्राइडल ड्रैसों को देखती है. घंटों औनलाइन साइटों पर अपने लायक ड्रैस खंगालती है. महंगे ब्यूटीपार्लर में जा कर मेकअप कराती है, लेकिन ड्रैस की सही डिजाइन और रंग दुलहन के आकर्षण को बदरंग कर देता है.
विवाह समारोह में मूवी कैमरा अधिकतर दुलहन पर केंद्रित रहता है, इसलिए दुलहन बनी नवयुवती सब से आकर्षित करने वाली ड्रैस पहनने की कोशिश करती है. आधुनिक परिवेश में दुलहन अब साड़ी की जगह लहंगे में सजना पसंद करती है. महीनों पहले लहंगे का चयन करना शुरू कर देती है.
डिजाइनर लहंगे
बाजारों में शादियों के दिनों में वैडिंग वियर की बहार सी आ जाती है. दुकानों पर दुलहन द्वारा पहने जाने वाले परिधानों की भरमार दिखाई देती है. बाजार में लहंगों की इतनी वैराइटी, रंग व डिजाइन दिखाई देती है कि दुलहन बनने वाली नवयुवतियां लहंगे का चुनाव नहीं कर पातीं. अनेक शोरूमों में जा कर नवयुवतियां लहंगों को देखती हैं.
फिर कुछ सहेलियों के साथ जा कर लहंगा पसंद करती हैं. अधिकतर वर पक्ष की स्त्रियों के साथ जा कर दुलहन के लिए परिधान खरीदे जाते हैं. ऐसे में नवयुवतियों के लिए लहंगा पसंद करना मुश्किल हो जाता है.