फैशन की दुनिया में नयी तकनीक और नए ट्रेंड सबको पसंद आते है और यही वजह है कि डिज़ाइनर्स इसमें नए-नए प्रयोग करते रहते है. इसी कड़ी में साल 2019 के लैक्मे फैशन वीक विंटर फेस्टिव में भारत के सूत और उससे बनी कपड़ों की प्रधानता रही, जिसमें डिज़ाइनरों ने इंडियन टेक्सटाइल्स को लेकर प्राचीन भारत में प्रचलित कला और संस्कृति को दिखाने की कोशिश की. इसमें मध्यप्रदेश के छिंदवाडा से आये किसान संगीता कुमारी और अंकुश भाटिया ने जैविक खेती के द्वारा कपास का उत्पादन किया और डिज़ाइनरों ने  साथ मिलकर उससे बनाये गए कपड़ो को मंच पर उतारा,जो दिखने में बहुत ही अलग और आकर्षक रहे.

कौटन के ड्रेसेस करें ट्राय

इस बारें में स्नातक कर चुके अंकुश कहते है कि सूती कपड़े सभी पहनना चाहते है और  कपास की मांग अधिक है, लेकिन किसान अधिकतर रसायनिक खाद प्रयोग करते है, जिससे जमीन की उपजाऊ कम हो जाती है और त्वचा के लिए भी यह हानिकारक होता है. जबकि जैविक पद्यति से कपास के उत्पादन में लागत अधिक और उत्पादन कम होता है,जिसे किसान करना नहीं चाहते, ऐसे में डिज़ाइनर्स के सहयोग की अधिक जरुरत है,ताकि जैविक पद्यति से ही कपास की खेती हो ,जिससे पर्यावरण और पहनने वाले को किसी प्रकार की परेशानी न हो. किसानी संगीता कहती है कि इसमें कपास के साथ-साथ बीच में एक लाइन अरहर दाल की लगाई जाती है,ताकि व्यवसाय के साथ-साथ खाद्य पदार्थ भी मिले.

 

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