बदलते समय के साथ हमारी जिंदगी में सुगंध भी कई तरीके से प्रवेश कर चुकी है. वह जमाना गया जब लोग सिर्फ पूजापाठ के लिए ही अगरबत्ती का इस्तेमाल करते थे. पश्चिमी धारणा ने हमारी जिंदगी को इस कदर प्रभावित किया है कि अब हम अगरबत्तियों का इस्तेमाल घरों को सुगंधित करने में भी करने लगे हैं. इस से हमारे आसपास का माहौल भी सुखद हो जाता है.

कला और विज्ञान दोनों बताते हैं कि सुगंध हमारी जिंदगी में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह हमारी ज्ञानेंद्रियों को उत्तेजित करती है और हमारे व्यवहार व कार्यों में सकारात्मक बदलाव लाती है. शोध में खुलासा हुआ है कि जो लोग नियमित रूप से सुगंध का प्रयोग करते हैं, जिंदगी के प्रति उन का नजरिया सुगंध का इस्तेमाल न करने वालों की तुलना में ज्यादा सकारात्मक होता है तथा वे सामाजिक रूप से अधिक कुशल होते हैं.

भारत में सुगंध उद्योग की बात करें तो यह अभी भी हमारे वैश्विक समकक्षों की तुलना में बहुत शुरुआती अवस्था में है. फिर भी इस ने विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. इन में होम केयर सेगमैंट, कार फ्रैशनर, पर्सनल केयर जैसे क्षेत्र शामिल हैं. यह उद्योग उभरते ट्रैंड के साथ लगातार वृद्धि कर रहा है.

सुगंध यानी परफ्यूम की उत्पत्ति किंग लुईस 15 के वक्त हुई थी. उस वक्त इस के लिए कुछ खास सुगंधित पौधे उगाए जाते थे. जिन से तेल का अर्क निकाला जाता था और उस का इस्तेमाल सुगंध के लिए किया जाता था. आधुनिक सुगंध का कारोबार इस तरीके से काफी आगे निकल चुका है. मौजूदा समय में परफ्यूम या सुगंध के निर्माण के पीछे छिपा विज्ञान काफी विस्तृत हो चुका है. अब ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक सुगंध का निर्माण किया जाता है और इस में आयु, क्षेत्र, प्राथमिकता और सांस्कृतिक जुड़ाव जैसी विभिन्न बातों पर ध्यान दिया जाता है. इस के बाद उन्हें पर्याप्त सुगंध बनाने के लिए प्राकृतिक अर्क को ऐरोमैटिक रसायनों के साथ मिलाया जाता है.

प्रत्येक सुगंध का दिमाग, भावनाओं और व्यवहार पर सीधा असर पड़ता है. आइए, जानते हैं कुछ ऐसी ही सुगंध की खूबियों को जिन का प्रचलन खूब है:

लैवेंडर: लैवेंडर की ताजा सुगंध शरीर को उत्तेजित करने के साथ ही उसे आराम भी प्रदान करती है. साथ ही यह जोश को सुकून देने के साथ ही ऊर्जा भी प्रदान करती है. इस के अलावा लैवेंडर की सुगंध शरीर को शांति प्रदान करने के साथ निराशा, चिड़चिड़ाहट, पैनिक हिस्टीरिया और अनिद्रा जैसी समस्याओं को संतुलित करती है.

औरेंज ब्लौसम: इस की सुगंध थकी हुई नसों को ताजगी प्रदान करती हैं और माहौल में उमंग लाती है.

जैसमीन : जैसमीन की सुगंध शांति के साथसाथ ऊर्जा और संतुलन प्रदान करती है. जैसमीन की सुगंध व्यक्ति में उम्मीद व आत्मविश्वास का संचार भी करती है.

संदल: संदल की सुगंध व्यक्ति को धरातल पर रखने के साथ ही डर के दौरान उस की मदद करती है.

बेसिल (तुलसी): भारत में तुलसी बहुत पवित्र पौधा माना जाता है. इस की सुगंध दिल को खोलने के साथसाथ दिमाग को संतुलित करती है. इस का भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है. जब हम दुख में डूबे होते हैं तो यह मजबूती का स्रोत बनता है.

सुगंध उद्योग ने सुगंध का कई फैमिलीज में वर्गीकरण किया है, यानी स्त्रीपुरुषों और युवाओं के लिए अलगअलग.

अपने लिए अच्छी सुगंध का चयन करते वक्त आमतौर पर होता यह है कि परीक्षण के दौरान हर कोई एक के बाद एक कई परफ्यूम की सुगंध लेता है. ऐसा करने से नाक 2 सुगंधों के बीच अंतर करना बंद कर देती है. इसलिए व्यक्ति को एक बार में 4 एकसमान अथवा 5-6 अलगअलग सुगंधों का परीक्षण नहीं करना चाहिए. इस के अलावा त्वचा के प्रकार एवं शरीर के रसायन के अनुसार भी परफ्यूम की सुगंध अलगअलग होती है. तनाव, हारमोनल बदलाव, आहार अथवा मैडिटेशन भी परफ्यूम की सुगंध प्रभावित करते हैं, क्योंकि इस दौरान व्यक्ति के शरीर की प्राकृतिक सुगंध बदलती रहती है.

इस वक्त बाजार में सुगंध की विविध शृंखलाएं उपलब्ध हैं, जो घर की सजावट को श्रेष्ठ बनाने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करती हैं. आप के लिए तो वे उम्मीद और आत्मविश्वास की ऊर्जा ले कर आती हैं, तो चिड़चिड़ाहट, चिंता और दर्द जैसी नकारात्मक भावनाओं को भी कम करती हैं. बस जरूरत होती है अपने घर और अपने लिए सही सुगंध चुनने की.

-किरण वी. रंगा द्य
प्रबंध निदेशक और मास्टर फ्रैंगरेंस क्रिएटर, रिपल फ्रैंगरेंसेस प्राइवेट लिमिटेड

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