हमारे देश के विभिन्न प्रांत खास साडि़यों के लिए मशहूर हैं जैसे बनारस की बनारसी, तमिलनाडु की कांजीवरम, गुजरात की पैठणी, लखनऊ की चिकन, चेन्नई की मद्रासी सिल्क, जयपुर की जयपुरी या बाटिक प्रिंट आदि. ये खास साडि़यां भारतीय महिलाओं द्वारा विशेष तरीके से पहनी जाती हैं और अपने प्रांत विशेष की पहचान को भी दर्शाती हैं.
पश्चिम बंगाल मशहूर है अपनी तांत की साडि़यों के लिए. जी हां, तांत या कहें प्योर कौटन. बंग समुदाय के लिए कोई भी उत्सव हो, तांत के बिना वे स्वयं को अधूरा मानते हैं. तांत साडि़यों की खास बात यह है कि साड़ी धागे की बनी होती है, जिसे कारीगर स्वयं अपने हाथों से बनाते हैं. कलर, वेराइटी, पिं्रट और नाना प्रकार की डिजाइन के कारण आज बंग समुदाय ही नहीं, नौन बंग समुदाय में भी यह अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है. यही वजह है कि बाजार में इस की डिमांड और कीमत दोनों ही हमेशा हाई रहती हैं.
विशेषता
पश्चिम बंगाल के शांतिपुर, फुलिया, कृष्णानगर और धोनेखाली की खास तांत की साडि़यां पूरे देश में मशहूर हैं. ये प्योर कौटन की होती हैं. अनेक वेराइटी में कौटन और सिल्क ये दोनों प्रकार की होती हैं. हाथ से निर्मित होने के कारण इस का अपना ही लुक होता है. बाजार में इस की कीमत 200 रुपए से प्रारंभ हो कर उस के बाद जैसी साड़ी वैसी कीमत. तांत साडि़यों के शौकीन कोलकाता निवासी लक्ष्मीनारायण बताते हैं, ‘‘तांत साड़ी को पहनते ही नारी में अलग ही निखार आ जाता है और यदि साड़ी के अनुरूप गहने भी आप ने पहन लिए तो सोने में सुहागा या कहें तो आप किसी राजवंश खानदान की बहू से कम नहीं लगेंगी.
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