आज की रफ्तार भरी जिंदगी में जब सीमित समय में ही हमें सब काम निबटाने होते हैं तो ऐसे में प्रत्येक मिनट का महत्त्व होता है. इसी भागादौड़ी के बीच यदि बैंक जाना पड़े तो आधा दिन तो चुटकियों में निकल जाता है. ऐसे में डिजिटल बैंकिंग ने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है. डिजिटल बैंकिंग या औनलाइन बैंकिंग के जरीए आप मिनटों में पैसों का लेनदेन, लोन के लिए आवेदन व अन्य बैंक संबंधित कई काम निबटा सकते हैं. और तो और यह सब करते वक्त न ही आप का समय बरबाद होता है और न ही आप को इस के लिए किसी प्रकार का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है.

एक नजर डिजिटल बैंकिंग की बारीकियों और फायदों पर

क्या है डिजिटल बैंकिंग?

डिजिटल बैंकिंग का मतलब है तकनीक की मदद से बैंक को ग्राहकों तक पहुंचाना. खाता खुलवाने से लेनदेन तक करने में तकनीक का इस्तेमाल डिजिटल बैंकिंग कहलाता है. इस में इंटरनैट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम आदि शामिल हैं. सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल बैंकिंग का अर्थ है तकनीक की मदद से आप का बैंक हमेशा आप के साथ रहता है और कभी भी उस की सेवाओं का फायदा उठा सकते हैं.

कम या न के बराबर लागत

बैंक की शाखाओं पर अपनी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को कर्मचारी संसाधनों पर काफी खर्च करना पड़ता है. ऐसे में प्रति लेनदेन ग्राहकों से बैंकों द्वारा 40 लिए जाते हैं. पैसे का यही लेनदेन जब आप एटीएम से करते हैं, तो यह लागत 18 से 20 हो जाती है. हालांकि जब आप लेनदेन के लिए डिजिटल बैंकिंग का सहारा लेते हैं, तो लागत बहुत कम या फिर न के बराबर हो जाती है.

ज्यादा ब्याज और सस्ता कर्ज

डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से यदि ग्राहक कोई निवेश योजना लेते हैं, तो बैंक अकसर उस पर ज्यादा ब्याज उपलब्ध कराते हैं. इस का कारण यह है कि डिजिटल बैंकिंग बैंकों की लागत को कम कर देती है, जिस का फायदा वे ग्राहकों को दे देते हैं. उसी प्रकार औनलाइन लोन के लिए आवेदन करने पर बैंक ग्राहकों को सस्ती दरों पर लोन भी उपलब्ध करा देते हैं.

समय की बचत

बैलेंस चैक करना हो, पैसे भेजने हों, क्रैडिट कार्ड की लिमिट बढ़वानी हो, बिल का भुगतान करना हो, लोन के लिए आवेदन या फिर बैंकों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न निवेश योजनाओं के बारे में कोई सूचना हासिल करनी हो, डिजिटल बैंकिंग की मदद से आप यह सब काम सैकंडों में घर बैठे ही कर सकते हैं. जबकि इसी काम के लिए यदि आप को बैंक जाना पडे़, तो समय काफी बरबाद होता है. आप को बैंक के कई चक्कर लगाने पड़ सकते हैं.

इस में कोई संदेह नहीं कि डिजिटल बैंकिंग ने लोगों की जिंदगी को आसान बनाया है, मगर इस में की गई थोड़ी सी भी लापरवाही आप को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. जब आप बैंक की शाखा में जा कर बैंकिंग सेवाओं का फायदा उठाते हैं तो आप की सूचना को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी बैंक की होती है पर जैसे ही आप डिजिटल बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो आप अपने जोखिम पर इन सेवाओं का फायदा उठाते हैं. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है:

– साइबर कैफे में जा कर आप औनलाइन बैंकिंग न करें. हैकर्स ऐसे ही मौकों की तलाश में रहते हैं. अत: अपने पर्सनल कंप्यूटर से डिजिटल बैंकिंग करें.

– आप जिस कंप्यूटर से डिजिटल बैंकिंग करें उस में ऐंटीवायरस का होना बेहद जरूरी है. हैकर्स अकसर वायरस के जरीए ग्राहकों का अकाउंट हैक कर लेते हैं.

– अपने औनलाइन, मोबाइल बैंकिंग के पासवर्ड को न तो किसी को बताएं और न ही इसे ऐसी जगह लिख कर रखें जिस से किसी और की नजर उन पर पड़े.

– यदि आप को औनलाइन भुगतान करना हो तो साइबर कैफे में जाने के बजाय अपने पर्सनल कंप्यूटर से करें. भुगतान करने के दौरान क्रैडिट कार्ड या डैबिट कार्ड की जानकारी किसी वैबसाइट पर सेव न करें.

– यदि आप मोबाइल बैंकिंग करते हैं तो इस के लिए बैंकों के ऐप्लिकेशन डाउनलोड कर लें जो काफी सुरक्षित होते हैं. बैंकिंग करने के बाद ऐप्लिकेशन को बंद कर उस से लौग आउट होना न भूलें.

– अकसर लोगों के पास लौटरी जीतने और विभिन्न औफर के ईमेल आते हैं, जिन में उन से उन के अकाउंट नंबर व अन्य पासवर्ड जैसी जानकारी मांगी जाती है. ऐसे ईमेल का कभी जवाब न दें और न ही ऐसे ईमेल को चैक करें.

– कई हैकर्स और साइबर अपराधी कस्टमर केयर कर्मी बन कर ग्राहकों से उन के अकाउंट से संबंधित जानकारी मांगते हैं. ऐसा कोई फोन आने पर आप अपने अकाउंट से संबंधित जानकारी उपलब्ध न कराएं. बैंक कभी भी आप से इस प्रकार की सूचना, खासतौर पर पासवर्ड आदि नहीं मांगते.

– डिजिटल बैंकिंग के दौरान यदि आप को अपने खाते में किसी भी प्रकार की अनियमितता नजर आए तो इस की जानकारी फौरन अपने बैंक को दें.

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