टैक्स के पेंच सभी की समझ से परे है. बहुत से लोग इन टर्मिनोलौजी में उलझ कर रह जाते हैं. उन्हें असल चीजों के बारे में नहीं पता चल पाता है. ऐसे में हम आपके लिए कुछ खास शब्दों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जो अक्सर टैक्स संबंधी बातचीत में आते रहते हैं.
जब भी टैक्स संबंधी बातें होती हैं, टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट जैसे टर्म सुनने को मिलते हैं. पर बहुत से लोगों को इन टर्म्स का मायने नहीं मालूम होता. इसलिए इस खबर में हम आपको इन शब्दों का अर्थ समझाएंगे.
टैक्स डिडक्शन (टैक्स की कटौती)
टेक्सपेयर की कुल आय से कुछ चीजें घटाकर टैक्स योग्य आय निकाली जाती है. इसका प्रमुख उद्देश्य है टैक्स योग्य आय को घटाना. इसमें मेडिकल, ट्रांसपोर्ट, ट्यूशन आदि के खर्च को शामिल किया जाता है। करदाता को कितना कर देना है, इसका भुगतान व्यक्ति की बची हुई टैक्स योग्य आय के आधार पर किया जाता है.
टैक्स एग्जेंप्शन (टैक्स छूट)
टैक्स एग्जेंप्शन वो खर्च, आय या निवेश होते हैं जिनपर कोई टैक्स नहीं लगता है. इससे आपकी टैक्स योग्य आय कम हो जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप साल भर में 7 लाख कमाती हैं और इसी में 2 लाख का निवेश करती हैं तो आपके केवल 5 लाख पर ही टैक्स देना होगा.
छूट योग्य सारे आय और निवेश के बारे में कर्मचारी को अपनी कंपनी को बताना जरूरी है. जिसके बाद बचे रकम पर कंपनी टैक्स काटती है.
टैक्स रिबेट
टैक्स रिबेट वो राशि होती है जिसपर टैक्सपेयर को कोई कर नहीं देना होता है. जैसे 87A के तहत मिलने वाला रिबेट. इसके अनुसार अगर आपकी सालाना आय 3।5 लाख रुपये से कम है तो आप 2,500 रुपये तक के रिबेट का दावा कर सकते हैं. छूट और रिबेट के बाद जो राशि बचती है उसपर आपको टैक्स देना होता है. टैक्स की गणना करने के बाद रिबेट आपको इनकम टैक्स की राशि के भुगतान में राहत देता है.
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