बैंक में जाते ही बैंक और इंश्योरेंस कंपनियों के अधिकारी ग्राहकों से म्युचुअल फंड में निवेश या इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा करना कानून के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं है, क्योंकि बैंकों को थर्ड पार्टी प्रोडक्ट बेचने की अनुमति होती है. हालांकि, म्युचुअल फंड में निवेश या इंश्योरेंस पौलिसी खरीदने के बाद अगर आपको शिकायत आती है तो इसमें बैंक कोई मदद नहीं करता है. वास्तव में बैंक इससे अपना पल्ला झाड़ता है.

ऐसे में अबतक अगर आपने बैंक से इंश्योरेंस पौलिसी खरीदी है और उससे संबंधित कोई शिकायत है तो आपको इंश्योरेंस कंपनी या इश्योरेंस औम्बडस्मैन (लोकपाल) के पास जाना होता था. साथ ही थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स की बिक्री, जो बैंकों को फीस-आधारित राजस्व लाती थी, बैंकिंग लोकपाल के दायरे से बाहर थी.

जल्द ही यह नियम बदलने वाला है. एक अधिसूचना के अनुसार अगर बैंक ग्राहकों को गलत थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स बेचता है तो ग्राहक सीधे बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते हैं. अधिसूचना के मुताबिक आरबीआई का कहना है कि उसने बैंकिंग लोकपाल स्कीम 2006 का दायरा बढ़ा दिया है. अब इसमें बेची गई इंश्योरेंस पौलिसी में खामी, म्युचुअल फंड और बैंकों की ओर औफर किए गए थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स शामिल होंगे.

बैंकिंग लोकपाल योजना बैंकों की ओर से औफर की गई सेवाओं से संबंधित शिकायतों के समाधान को सक्षम करती है और इस तरह की शिकायतों के निपटान की सुविधा उपलब्ध कराती है.

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आरबीआई केवल लोकपाल का दायरा ही नहीं बढ़ाया है, बल्कि नए नियमों की मदद से इसका अधिकार क्षेत्र भी बढ़ा दिया है. इससे पहले तक बैंकिंग लोकपाल केवल 10 लाख रुपये तक का और्डर पास कर सकता था. यह अब बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा बैंकिंग लोकपाल शिकायतकर्ता के पैसे और समय के नुसकसान, उत्पीड़न और मानसिक कष्ट के लिए एक लाख रुपये का अधिकतम मुआवजा दे सकता है.

जानिए बैंकिंग लोकपाल को किस स्थिति में शिकायत कर सकते हैं-

  • किसी थर्ड पार्टी फाइनेंशियल प्रोडक्ट की गलत या अनुचित बिक्री
  • प्रोडक्ट की बिक्री के समय पर पर्याप्त जानकारी न देना
  • शिकायत निवारण प्रक्रिया का का गैर प्रकटीकरण
  • बैंक की ओर से बिक्री के बाद सेवा को सुविधाजनक बनाने में देरी या इनकार

कैसे करें शिकायत

कानून के मुताबिक बैंक की हर शाखा को बैंकिंग लोकपाल के औफिस का पता दिखाना जरूरी है. शिकायतकर्ता औनलाइन और औफलाइन दोनों माध्यमों से शिकायत दाखिल कर सकता है. शिकायत में नुकसान का स्तर और मांगे गये मुआवजे की प्रकृति स्पष्ट करनी होती है.

लेकिन आपको बता दें कि बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करने से पहले शिकायतकर्ता को आधिकारिक रूप से बैंक के पास शिकायत फाइल करनी होगी. इसके बाद 30 दिनों तक इंतजार करना होगा. अबतक स्थिति यह थी कि अगर बैंक ने किसी को गलत इंश्योरेंस पौलिसी या म्युचुअल फंड स्कीम की बिक्री की है तो वह केवल इंश्योरर या फंड हाउस के ही पास जा सकता था.

आपको बता दें कि बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने पर कोई फीस नहीं लगती है और न ही किसी वकील के पास जाना पड़ता है. आप एक अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से अपने केस का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं.

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