1 अप्रैल 2018 के बाद अगर आपको इक्विटी पर आधारित म्यूचुअल फंड की बिक्री से 1 लाख से ज्यादा का प्रौफिट होता है तो आपको प्रौफिट में से 10 फीसद का टैक्स देना होगा, जिसे लौन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है. यह टैक्स तभी देना होगा जब आपके म्युचूअल फंड का 65 फीसद या उससे ज्यादा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता हो. हालांकि 31 जनवरी, 2018 तक कमाए गए मुनाफे पर एलटीजीसी नहीं लगेगा.

जानकारी के लिए बता दें कि न केवल एक अप्रैल, 2018 के बाद किये गये निवेश एलटीसीजी के दायरे में आएंगे बल्कि एक फरवरी, 2018 से 31 मार्च, 2018 के बीच या उसके बाद की गई कोई खरीद पर भी एलटीजीसी लगाया जाएगा अगर 12 महीने से ज्यादा की अवधि के लिए होल्ड किया गया है.

म्यूचुअल फंड निवेशक के लिए यह नया टैक्स उस वित्त वर्ष में लगाया जाएगा जब भी वह एमएफ यूनिट्स को कम से कम 12 महीने रखने के बाद बेचता है. निवेशक इसमें या तो लंपसम निवेश कर सकते हैं या फिर सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए निवेश कर सकते हैं. हालांकि इसे रिडीम करते हुए भी आप या तो एक बार में सारा पैसा रीडीम कर सकते हैं या फिर सिस्टेमैटिक विड्रौल प्लान का चयन कर सकते हैं.

जानिए कैसे आप म्यूचुअल फंड यूनिट्स पर एलटीसीजी की गणना कर सकते हैं

एसआईपी के जरिए निवेश लेकिन लंपसम में बिकवाली

अगर निवेशक एसआईपी के जरिए निवेश किये गये म्यूचुअल फंड को रीडीम कर रहा है तो इसमें पहले खरीदी गईं यूनिट्स की बिकवाली पहले होगी. बेची गईं यूनिट्स के आधार पर सबसे पहले यह पता लगाएं कि किस डेट को कितनी संख्या में यूनिट्स खरीदी गई थी. इसमें एक तारीख से ज्यादा की गई खरीद शामिल की जा सकती हैं. इसके बाद नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) की गणना करें. साथ ही इसके आपको हर पर्चेस डेट के लिए होल्डिंग पीरियड का भी पता लगाना होगा ताकि ये पता किया जा सके कि यह लौन्ग टर्म था या शौर्ट टर्म.

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