नौकरीपेशा लोग आमतौर पर टैक्स बचाने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की पौलिसी ले लेते हैं. एलआईसी की पौलिसी बेशक टैक्स बचाने के लिए काफी होती है, लेकिन यह टैक्स बचत का फायदा तभी देती है जब आपका प्रीमियम एक निर्धारित सीमा से कम हो, इससे ऊपरी सीमा पर एलआईसी से मिलने वाला पैसा टैक्सेबल हो जाता है. हालांकि एक सूरत ऐसी भी होती है जिसमें प्रीमियम चाहें कितना भी हो आपको मिलने वाले पैसे पर कोई टैक्स नहीं देना होता है.
सबसे पहले जानिए किन सूरतों में LIC के पैसे पर देना होता है टैक्स: एलआईसी से मिलने वाले पैसे पर 3 सूरतों में टैक्स देना होता है.
- अगर आपने 1 अप्रैल 2012 के बाद कोई पौलिसी खरीदी है और उसका प्रीमिमय सम एश्योर्ड के 10 फीसद से ज्यादा है.
- अगर आपने 1 अप्रैल 2012 से पहले पौलिसी ले रखी है आपकी पॉलिसी का प्रीमियम 20 फीसद से ज्यादा है.
- अगर किसी विकलांग व्यक्ति ने पौलिसी 1 अप्रैल 2013 के बाद खरीदी है और उसका सम एश्योर्ड 15 फीसद से ज्यादा है.
उदाहरण से समझिए: अगर आपने 1 अप्रैल 2014 के बाद 5 लाख की कोई पौलिसी खरीदी है और अगर उसका प्रीमियम 60,000 रुपये है यानी 10 फीसद से ज्यादा तो मैच्योरिटी के समय मिलने वाला 5 लाख रुपया पूरे का पूरा टैक्सेबल होगा.
आपको बता दें कि एलआईसी में निवेश आयकर की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स छूट के दायरे में आता है. इस पर होने वाली ब्याज आमदनी और मैच्योरिटी पर मिलने वाला पैसा भी टैक्स छूट के दायरे में आता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन