अगर आप दिन-रात खूब मेहनत करते हैं, तो जाहिर तौर पर आप काम से थोड़ा ब्रेक भी चाहेंगे. इसीलिए आप वैकेशन प्लान करते हैं. मान लीजिए आपने अपनी ट्रिप के लिए फ्लाइट बोर्ड कर ली है और आपकी फ्लाइट कुछ घंटों बाद अपने गंतव्य पर पहुंच जाती है, लेकिन वहां जाकर आपको मालूम चलता है कि आपका लगेज तो आपके गंतव्य तक पहुंचा ही नहीं. ऐसे में क्या होगा? आपका सारा मूड खराब हो जाएगा. इस तरह का अनुभव दिल दुखाने वाला होता है. लेकिन अगर आप कुछ जानकारी रखेंगे तो आप अपने इस दर्द को कुछ कम कर सकते हैं.

आपको मालूम होना चाहिए कि आपके एयर टिकट के साथ भी कुछ इंश्योरेंस कवर आपको उपलब्ध करवाए जाते हैं. इस तरह के इंश्योरेंस कवर एयरलाइन को जवाबदेह बनाते हैं कि वो आपके सामान में हुए किसी भी प्रकार के नुकसान होने की सूरत में आपको मुआवजा दे. ऐसी सूरत में आपको शिकायत जरूर दर्ज करानी चाहिए और आगे की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए. हम अपनी इस खबर में आपको ऐसे ही कुछ इंश्योरेंस कवर के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं जो मुफ्त में उपलब्ध होते हैं.

एयर ट्रैवल पर भी मिलता है इंश्योरेंस कवर: आपको शायद ही पता हो लेकिन आपके एयर ट्रैवल पर भी इंश्योरेंस कवर मिलता है, जिसका साइज इंश्योरर के आधार पर अलग अलग हो सकता है. अधिकांश कंपनियां लीगल लायबिलिटी (कानूनी देयता) कवर प्रदान करती हैं जिसके अंतर्गत यात्रियों को सामान की हानि के लिए मुआवजा दिया जाता है. एयर इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक, "सामान की क्षति या हानि होने की सूरत में, निर्धारित करार के अनुसार दावों का निपटारा किया जाएगा. वारसौ कन्वेंशन (करार) के अनुसार, मुआवजे की गणना 20 डौलर प्रति किलो की दर से की जाती है. मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत सामान/हानि/ सामान पहुंचने में देरी के लिए अधिकतम मुआवजा प्रति यात्री 1,000 एसडीआर है.

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