म्युचुअल फंड एक बेहतर निवेश विकल्प माना जाता है. साल 2017 के दौरान निवेशकों का रुझान म्युचुअल फंड्स की ओर तेजी से बढ़ा था. आमतौर पर निवेशक म्युचुअल फंड में निवेश के दौरान कुछ गलतियां कर देते हैं ऐसे में उन्हें फंड मैनेजर्स की मदद लेनी चाहिए.

म्युचुअल फंड्स में प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स होते हैं, जिनके पास अपनी पूरी रिसर्च टीम होती है. इनका काम निवेश से जुड़ा सही और उचित फैसला लेने का होता है.

इनकी मदद से नुकसान की गुंजाइश कम हो जाती है. मगर इन सब के बावजूद निवेशकों को निवेश से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. हम अपनी इस रिपोर्ट में आपको बताने जा रहे हैं कि म्युचुअल फंड में निवेश के दौरान आपको किन गलतियों से बचना चाहिए.

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एक्सपर्ट्स की राय

निवेश और टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का मानना है कि म्युचुअल फंड में निवेश के दौरान ढ़ेरों फंड्स में से अपनी जरूरत और लक्ष्य के हिसाब से फंड का चुनाव, उनकी परफोर्मेंस ट्रैक करना आसान काम नहीं होता है. वास्तव में ऐसी स्कीम में निवेश करने से पहले कई चीजें ध्यान में रखनी चाहिए. सबसे पहला फैक्टर चयन होता है. निवेशकों को अपना पैसा उस विशेष फंड में लगाना चाहिए जो उनकी जरूरतों को पूरा करता हो. साथ ही निवेश करने के बाद वर्ष में एक बार स्कीम का प्रदर्शन जरूर जांच लें. ऐसा इसलिए क्योंकि जरूरी नहीं है कि एक स्कीम आजीवन अच्छा प्रदर्शन ही करे. पिछले समय में किसी स्कीम के अच्छे प्रदर्शन का मतलब यह बिल्कुल नहीं होता कि यह भविष्य में भी अच्छा ही रिटर्न देगा.

किन गलतियों से बचें

डिविडेंड के पीछे न भागें

लंबे समय की अवधि के लिए निवेश के दौरान निवेशकों को डिविडेंड के पीछे नहीं भागना चाहिए. एक तरह से आपका पैसा डिविडेंड के रुप में वापस आता है. इसमें मिलने वाला रिटर्न शेयर बाजार में होने वाले उतार-छड़ाव पर निर्भर करता है. इसलिए जो लोग यह कहते हैं कि म्युचुअल फंड्स में निश्चित रिटर्न मिलता है उनपर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए.

ज्यादा डायवर्सिफिकेशन भी अच्छा नहीं

म्युचुअल फंड्स जोखिम को डायवर्सिफाई करने के लिए डिजाइन किये गये हैं. अपने पोर्टफोलियो में बहुत ज्यादा फंड भी लंबी अवधि में मिलने वाले रिटर्न को प्रभावित करता है.

एसेट एलोकेश को न भूलें

सबसे बड़ी गलती निवेशक एसेट एलोकेशन को भूलने की करते हैं. यह बेहद महत्वपूर्ण है. बाजार में कई निवेश विकल्प मौजूद हैं, लेकिन हर विकल्प का अपना रिस्क फैक्टर होता है. अधिकांश लोग निवेश में कई गलतियां कर देते हैं. एसेट एलोकेशन एक ऐसी स्ट्रैटेजी है जिसके जरिए आप न सिर्फ सही एसेट क्लास का चुनाव करते हैं बल्कि यह आपके निवेश को भी उचित तरह से मैनेज करता है. निवेश की तीन अहम स्टेज प्लानिंग, एग्जिक्यूशन और अपने निवेश को समय-समय पर रिव्यू करें.

जानकारी को जांचे

निवेशकों को अपनी म्युचुअल फंड अकाउंट की स्टेटमेंट में बैंक की डीटेल्स को जरूर चेक करना चाहिए.  सुनिश्चित कर लें कि बैंक का नाम, अकाउंट नंबर और आपकी ओर से दी गई अन्य जानकारी सही है.  जानकारी में एक छोटी सी गलती काफी नुकसान करा सकती है. बैंक अकाउंट में एक डिजिट के गलत होने से निवेशक के बैंक अकाउंट में राशि जमा नहीं होती है. ऐसा पुरानी बैंक डीटेल्स की अपडेट प्रक्रिया और निवेश किए जाने वाले बैंक एकाउंट नंबर के इनएक्टिव व अकाउंट के अपने आप बंद हो जाने पर होता है. इसलिए अपनी सभी जानकारी को ठीक से चेक करना चाहिए.

अपने पोर्टफोलियो को समझें

जो निवेशक बिना अधिकृत (एक्रिडेटेड) फंड एडवाइजर की मदद से सीधे निवेश करते हैं उन्हें सेक्टर, स्टौक या फंड के कैश लेवल आदि के बारे में जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए.

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औफर डौक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें

कई बार निवेशक स्कीम के औफर डौक्यूमेंट्स को सही से नहीं पढ़ते हैं जिसमें यह स्पष्ट किया होता है कि फंड कहां निवेश होगा, किस एसेट क्लास में होगा और किस सेगमेंट में होगा. इसलिए उद्देश्य और सेगमेंट्स को समझने से आप अपने फंड्स, निवेश के उद्देश्य और जोखिम के बारे में जान सकते हैं.  इसमें मैनेजमेंट और एक्सपेंस रेश्यो भी शामिल होता है.

कम एनएवी वाले फंड्स को न समझें बेहतर

अधिकांश निवेशकों का मानना है कि कम एनएवी वाले फंड ज्यादा ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हैं. किसी फंड में निवेश करने से पहले उसका बीते वर्षों में प्रदर्शन, एक्सपेंस रेश्यो, मौजूदा पोर्टफोलियो और अन्य चीजों का विश्लेषण जरूर करें.

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