बैंकों से होम लोन मिल जाना ही काफी नहीं है, बल्कि उसकी ईएमआई का बेहतर प्रबंधन उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. ईएमआई के सही मैनेजमेंट के अभाव में होम बायर्स को कई परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. ईएमआई में देरी से पेनाल्टी से लेकर डिफौल्ट और प्रौपर्टी अटैच होने तक का खतरा रहता है. आर्थिक जगत और जौब मार्केट में उतार-चढ़ाव के कारण इन दिनों डिफौल्ट करने वालों की संख्या भी काफी बढ़ गई है.
इन सबके बीच बैंकों की ब्याज दरें एक बार फिर बढ़ने लगी हैं. कई सरकारी बैंकों के बाद अब एचडीएफसी ने भी होम लोन की ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. इससे भी होम बायर्स का तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ईएमआई का बेहतर मैनेजमेंट आपके लिए अधिक जरूरी हो गया है. ऐसा नहीं करने से घर खरीदने का मजा किरकिरा हो सकता है.
ऐसे में आज हम कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनसे आपको होम लोन की ईएमआई मैनेज करने में मदद मिलेगी. यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि हम ईएमआई कम करने के जो पांच तरीके बता रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप किसी भी तरह के लोन की ईएमआई कम करने के लिए कर सकते हैं.
इएमआई सैलरी मिलने की तारीख के करीब रखें
समय पर ईएमआई चुकाने से बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों का आप पर विश्वास बना रहता है. इसीलिए ईएमआई को सैलरी मिलने की तारीख के करीब रखना हमेशा बेहतर होता है. समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं भरने से बैंक आपसे भारी-भरकम जुर्माना वसूलते हैं. इससे क्रेडिट स्कोर भी खराब हो जाता है. अगर ईएमआई लगातार नहीं भर रहे हैं तो घर अटैच होने की भी आशंका बढ़ जाती है.
इंश्योरेंस पौलिसी से मिली रकम को बैंक को दें
ऐसे में कम ईएमआई आपके लिए हमेशा अच्छी होती है. इसके लिए आपको बोनस या इंश्योरेंस पौलिसी की अवधि पूरी होने पर मिलने वाली मोटी रकम का एक हिस्सा बैंक को देते रहना चाहिए. अमूमन 3 साल के बाद आप अपने बैंक को एकमुश्त राशि दे सकते हैं.
इसे एक उदाहरण के जरिए आप अच्छी तरह समझ सकते हैं. आपने अगर 9 फीसदी ब्याज दर पर 15 साल के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन ले रखा है और इसके लिए एकमुश्त 1 लाख रुपये जमा करते हैं तो आप ब्याज के रूप में 1.9 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. इतना ही नहीं, इससे लोन की अवधि भी लगभग 5 महीने कम हो जाती है. चूंकि शुरुआत में ईएमआई का अधिक हिस्सा ब्याज के रूप में जाता है, ऐसे में आप अगर एकमुश्त रकम जमा करते रहेंगे, तो आपका बोझ लगातार कम होता जाएगा.
एएमआई अधिक का करवाए
अगर आप अधिक ईएमआई चुकाने की स्थिति में हैं तो अपनी ईएमआई अधिक करवा लें. लोन रीपेमेंट के मामले में यह हमेशा बेहतर रणनीति साबित होती है. इसे आप ऐसे समझिए कि 20 साल के लिए 50 लाख के लोन पर अगर आप अपनी ईएमआई में लगभग 4 हजार रुपए का इजाफा कर देते हैं तो लोन की अवधि कई साल कम हो जाती है. इसी तरह अगर आप ईएमआई में इतनी रकम कम दें तो आपके लोन की अवधि लगभग 10 साल तक बढ़ सकती है.
अतिरिक्त इएमआई भरने की करें कोशिश
हर साल आपको एक अतिरिक्त ईएमआई भरने की भी कोशिश करनी चाहिए. बढ़ते खर्च के चलते शुरू में ऐसा करना कठिन हो सकता है, लेकिन आगे यह फायदेमंद साबित होता है. सामान्य तौर पर ब्याज दरों में बदलाव वाले निश्चित अवधि के लोन के लिए इस तरह के पेमेंट पर कोई चार्ज नहीं लगता है.
सभी बैंको के ब्याज दरों की रखें जानकारी
होम लोन लेने के बाद भी अन्य बैंकों या वित्तीय संस्थानों से ब्याज दरों से संबंधित जानकारियां लेते रहना चाहिए. अगर कोई दूसरा बैंक आपको कम ब्याज दर औफर कर रहा हो तो आपको सस्ती ब्याज दर वाले बैंक की तरफ स्विच कर जाना चाहिए. बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण बैंक और वित्तीय संस्थान अक्सर कम दर का औफर देते रहते हैं.
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